सुर संगम कला केंद्र में अघोरेश्वर परम पूज्य गुरुदेव संभव बाबा का हुआ आगमन।

सुर संगम कला केंद्र में अघोरेश्वर परम पूज्य गुरुदेव संभव बाबा का हुआ आगमन।
सुर संगम कला केंद्र के निदेशक श्री आशुतोष पांडे एवं केंद्र के संचालक भजन गायक राम-श्याम बंधु के द्वारा अघोरेश्वर परम पूज्य गुरुदेव संभव बाबा जी का भव्य स्वागत किया।

तत्पश्चात बाबा जी ने केंद्र में लगे अवधूत भगवान राम के फोटो के सामने विधिवत अघोरेश्वर महामंत्र के द्वारा पूजा पाठ कि शुरुवात की। उसके बाद राम – श्याम बंधु ने भजन सुनाकर बाबा जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

बाबा जी ने उपस्थित सैकड़ों लोगों के बीच में आध्यात्मिक संगीत का महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संगीत की शुरुआत सा रे ग म प ध नि से होता है जहां आध्यात्मिक क्षेत्र में सा का अर्थ होता है साकार और अंतिम स्वर नि है जिसका अर्थ होता है निराकार यानी जीवन की शुरुआत साकार ब्रह्म के उपासना से होती है और निराकार ब्रह्म में विलीन हो जाती है और जो पांच स्वर बीच में बच जाते हैं रे ग म प ध इन्हीं पांच स्वरों से यानि पांच तत्वों से भौतिक शरीर का निर्माण होता है।
गुरुपद संभव बाबा जी ने सब लोगों को बताया कि आज के परिवेश में अपने आप को और बच्चों को आध्यात्मिक संगीत से जोड़ना बहुत जरूरी है। इससे भक्ति मार्ग में चलना आसान होता है।
अंत में बाबा जी ने संगीत के सभी कक्षाओं का तथा चित्र कला का घूम घूम कर अवलोकन किया और भविष्य में सितार क्लास की शुरुआत करने के लिए सुझाव दिया। वहां उपस्थित सभी लोगों को ढेर सारा आशीर्वाद दिया एवं सुर संगम कला केंद्र की उज्जवल भविष्य की कामना की।
इस मौके पर उपस्थित शशि जी, शास्त्रीय गायक रमेश पाठक , गजल गायक सुमन मिश्रा, बांसुरी वादक पवन कुमार शर्मा, ब्राइटलैंड के प्राचार्य राहुल सिंह, समाजसेवी विश्वजीत पाठक, गायिका श्वेता पांडे, शालिनी वैद्य आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।