गढ़वा एसपी दीपक पांडेय का कार्यकाल: वीरता, नेतृत्व और विश्वास की मिसाल – धीरज दुबे

गढ़वा एसपी दीपक पांडेय का कार्यकाल: वीरता, नेतृत्व और विश्वास की मिसाल – धीरज दुबे

गढ़वा जिले के पूर्व पुलिस अधीक्षक (एसपी) दीपक कुमार पांडेय से झामुमो केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे ने मुलाक़ात कर विदाई दिया! श्री दुबे ने कहा की पूर्व पुलिस अधिक्षक का कार्यकाल जिले के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हो गया। 11 सितंबर 2023 को जब उन्होंने जिले के एसपी का पदभार ग्रहण किया, उस समय कई चुनौतियाँ उनके सामने थीं—अपराध नियंत्रण, नक्सल गतिविधियों पर रोकथाम, और आम जनता का पुलिस पर विश्वास बहाल करना। लेकिन उन्होंने अपने मजबूत नेतृत्व, नीतिगत कुशलता और असाधारण साहस से इन सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता हासिल की।

दीपक पांडेय की वीरता का सबसे बड़ा उदाहरण 29 दिसंबर 2022 को लोहरदगा जिले के कोरगो जंगल में देखा गया, जब उन्होंने भाकपा माओवादी संगठन के खिलाफ एक सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस अभियान में कुख्यात नक्सली सब-जोनल कमांडर चंद्रभान पाहन मारा गया और एक अन्य नक्सली गोविंद बिरिजिया को गिरफ्तार किया गया। इस ऑपरेशन से झारखंड के नक्सली नेटवर्क को बड़ा झटका लगा। इस असाधारण साहस और नेतृत्व के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित किया गया।

सम्मानों से सुसज्जित कार्यकाल

दीपक पांडेय को उनकी उल्लेखनीय सेवा के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है। इनमें गृह मंत्रालय द्वारा दिया गया आंतरिक सुरक्षा पदक, मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक, और अन्य कई प्रशस्ति पत्र शामिल हैं। यह पुरस्कार उनके कार्यों की गंभीरता, निष्ठा और प्रभावशीलता के प्रमाण हैं।

अपराध नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था में सख्ती

एसपी पांडेय ने गढ़वा जिले में अपराध नियंत्रण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उनके नेतृत्व में पुलिस विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए कई शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया, अवैध हथियार बरामद किए और नशीली पदार्थों के कारोबार पर भी लगाम कसी। उनके निर्देश पर सभी थाना क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ाई गई, नियमित गश्ती सुनिश्चित की गई और विशेष अभियान चलाकर चोरी, लूट और मारपीट जैसी घटनाओं में कमी लाने में सफलता प्राप्त की।

जन सहयोग और संवाद आधारित पुलिसिंग

दीपक पांडेय का मानना है कि पुलिसिंग तभी सफल हो सकती है जब आम जनता का सहयोग और विश्वास पुलिस के साथ हो। इसी सोच के तहत उन्होंने नियमित जनता दरबार, समस्या निवारण शिविर, और गांवों में पुलिस चौपाल जैसे संवाद कार्यक्रम चलाए। इन अभियानों का मुख्य उद्देश्य था—जनता की समस्याएं सीधे सुनना और समाधान देना।

युवाओं को जोड़ने की पहल

एसपी पांडेय ने युवाओं को अपराध और नशे से दूर रखने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में जाकर जागरूकता कार्यक्रम चलाए। ‘स्मार्ट पुलिसिंग’ के तहत साइबर अपराध, नशा मुक्ति, सोशल मीडिया की सावधानी आदि विषयों पर सत्र आयोजित किए गए। इसके अलावा, उन्होंने खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने की रणनीति अपनाई।

आधुनिक तकनीक और पारदर्शिता की ओर कदम

पुलिस व्यवस्था को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एसपी पांडेय ने कई तकनीकी पहल कीं। जिले के प्रमुख चौराहों और बाजारों में सीसीटीवी कैमरों की स्थापना, ई-एफआईआर की सुविधा, और महिला हेल्पलाइन को प्रभावी बनाया गया। इससे न केवल अपराध पर नियंत्रण हुआ बल्कि पुलिस की छवि में भी सकारात्मक सुधार हुआ।

दीपक पांडेय के द्वारा गढ़वा पुलिस लाइन में बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ किया तथा वहां स्ट्रीट लाइट सहित तमाम सुविधाओं का व्यवस्था उनके द्वारा किया गया। उनको जमीनी स्तर के अनुभव का लाभ अनुसंधान के दौरान मिलता था, अपने सहयोगी पुलिस कर्मियों को निर्देशित कर वह ज्यादातर घटनाओं का उद्बोधन करने में सफल हो जाते थे। सुदूरवर्ती क्षेत्र से आने वाले लोगों को अति सहजता से उनसे मुलाकात हो जाती थी तथा कार्यालय में उनको इज्जत के साथ बैठाकर पानी पिलाया जाता था।

मौके पर ज़िलाध्यक्ष शंभु राम एवं सचिव शरीफ अंसारी मौजूद थे

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