हूल दिवस के अवसर पर संपन्न हुआ आइसा का तीसरा जिला सम्मेलन

सर पर जीएलए कॉलेज में भव्य रूप से संपन्न हुआ। सम्मेलन की शुरुआत हुल क्रांति के तमाम शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर की गई। शहीद वेदी पर माल्यार्पण के बाद खुले सत्र की शुरुआत हुई, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं और युवाओं ने भाग लिया।

खुले सत्र को संबोधित करते हुए आइसा राज्य अध्यक्ष विभा,राज्य सचिव त्रिलोकी नाथ,वरिष्ठ नेता और पूर्व छात्र नेता शैलेन्द्र कुमार, तथा अन्य वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था बदतर होती जा रही है। नई शिक्षा नीति छात्रों पर जबरन थोपी जा रही है, जिससे शिक्षा का व्यवसायीकरण और भगवाकरण तेज़ी से बढ़ रहा है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का चरित्र वैज्ञानिक और तार्किक होने के बजाय धार्मिक कट्टरता और उन्माद की ओर मोड़ा जा रहा है। आरएसएस और भाजपा द्वारा शिक्षण संस्थानों में नफरत और झूठ की विचारधारा थोपी जा रही है। वक्ताओं ने कहा कि आज जब लोकतंत्र और संविधान पर हमले हो रहे हैं, ऐसे दौर में छात्रों और युवाओं को अग्रिम पंक्ति में खड़ा होना होगा।

आंदोलनात्मक ऊर्जा से भरे इस सम्मेलन में विभिन्न छात्र प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय में नियमित सत्र,समय पर परीक्षा, समय पर छात्रवृत्ति भुगतान, छात्र संघ चुनाव जैसे बुनियादी मांगों पर प्रशासन मौन है। लगातार फीस बढ़ोतरी, संस्थानों की कार्यप्रणाली का औपचारिक रह जाना, कॉलेजों का केवल परीक्षा केंद्र बन जाना – ये सारी समस्याएं छात्रों के भविष्य को संकट में डाल रही हैं। झारखंड जैसे राज्य में स्थानीयता और रोजगार जैसे सवाल गंभीर होते जा रहे हैं, लेकिन सरकार और विश्वविद्यालय दोनों ही इस पर चुप हैं।

सम्मेलन का संगठनात्मक सत्र पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडली के संचालन और प्रवेक्षक आइसा लातेहार जिला सचिव नागेन्द्र की निगरानी में संपन्न हुआ। सत्र के दौरान पूरे जिले से आए प्रतिनिधियों की भागीदारी में 17 सदस्यीय जिला कमेटी का गठन किया गया। सर्वसम्मति से गुड्डू भुइयां को जिला अध्यक्ष और सचिव गौतम दांगी को सचिव चुना गया। नवगठित कमेटी में रंजीत कुमार, कंचन भारती, अभय सिंह दांगी, चंद्रकांति कुमारी, ममता कुमारी, जितेन्द्र कुमार सहित अन्य साथी शामिल किए गए।

सम्मेलन में विशिष्ट अतिथियों के रूप में रविंद्र भुइयां,गौतम चटर्जी, अक्षयलाल,ललन प्रजापति,राजू कुमार मेहता, अभिषेक विश्वकर्मा सहित कई बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं छात्र-युवा कार्यकर्ता शामिल रहे। सम्मेलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि आने वाले समय में आइसा शिक्षा और रोजगार के सवालों को लेकर जोरदार आंदोलन खड़ा करेगा और छात्र-युवा शक्ति को संगठित कर जनपक्षधर बदलाव की लड़ाई को आगे बढ़ाएगा।

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