एसडीएम ने स्टांप वेंडर्स के साथ की बैठक, दिए जरूरी निर्देश

एसडीएम ने स्टांप वेंडर्स के साथ की बैठक, दिए जरूरी निर्देश

स्टांप उपलब्धता सुचारू रखने तथा अधिक दाम पर नहीं बेचने का निर्देश

स्टांप वेंडिंग के लिए मिली दुकानों को लगा दिया है किराए पर, कराई जाएंगी खाली

गढ़वा। अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने शुक्रवार को अपने कार्यालय कक्ष में जिला मुख्यालय के स्टांप वेंडर्स के साथ बैठक की। बैठक के दौरान उन्होंने स्टांप उपलब्धता, मुद्रांक से अधिक राशि लेने तथा स्टांप की छद्म कमी जैसे मुद्दों को लेकर आवश्यक चर्चा की तथा कई जरूरी निर्देश दिए।
उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह के “कॉफी विद एसडीएम” कार्यक्रम में जिले के अधिवक्ताओं ने स्टांप उपलब्धता की समस्या पर आवश्यक कदम उठाने हेतु एसडीएम से अनुरोध किया था। उसी क्रम में आज संजय कुमार ने जिले के स्टांप वेंडर्स को अपने यहां बैठक में बुलाया था।

कई लाइसेंस धारक स्टांप वेंडर छोड़ चुके हैं काम
इस बैठक में सिर्फ चार स्टांप विक्रेता ही शामिल हुए जबकि जिले में 10 से अधिक स्टांप वेंडर्स को अनुज्ञप्ति मिली हुई है। इस अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर जानकारी प्रकाश में आई कि सिर्फ चार लोग ही वर्तमान में स्टांप बेचने का काम कर रहे हैं, बाकी लोग स्टांप बेचने के काम को छोड़ चुके हैं। इस बात की पुष्टि अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा फोन पर ही कोषागार पदाधिकारी के कार्यालय में बात कर की गई, जहां से जानकारी मिली कि वर्तमान में सिर्फ विजय कुमार और चुन्नू केसरी, प्रदीप कुमार केसरी, ओमप्रकाश कुशवाहा और हरिशंकर चौबे ही स्टांप खरीदते हैं। संयोग से सिर्फ यही चार लोग ही एसडीएम की बैठक में पहुंचे हुए थे। इन लोगों ने बैठक में बताया कि शेष लोग अब स्टैंप नहीं बेचते ना ही उन्होंने अपना लाइसेंस सरेंडर किया है।

15 साल से नहीं दिया गया है किसी को स्टांप वेंडिंग लाइसेंस
विधि शाखा से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2010 के बाद किसी को स्टांप वैंडिंग का लाइसेंस नहीं दिया गया है, इसलिए वही लोग अभी भी स्टांप बेचते चले जा रहे हैं जो पहले से अनुज्ञक्ति धारक हैं। बैठक में जानकारी मिली कि विजय कुमार उर्फ चुन्नू केसरी वर्ष 1979 से लाइसेंस लेकर स्टांप बेच रहे हैं वहीं ओमप्रकाश कुशवाहा को 1994 से लाइसेंस मिला हुआ है। बैठक में पहुंचे हरिशंकर चौबे खुद लाइसेंस धारक नहीं है किंतु उनका कहना है कि वे लाइसेंस धारक मनोज चौबे के पुत्र हैं। इस पर संजय कुमार ने कहा कि वे पिता के नाम की वजह स्वयं के नाम से लाइसेंस प्राप्त कर लें।

स्टांप बेचने के लिए मिली दुकानों को लगा दिया है किराए पर
बैठक के दौरान जो तथ्य सामने आए उसके अनुसार कुछ लाइसेंस धारकों ने स्टांप बेचने के लिए निशुल्क मिली अपनी दुकानों को अन्य कार्यों में लगा दिया है या फिर दूसरों को किराए पर उठाकर किराया वसूल रहे हैं। ऐसे लाइसेंस धारकों के न केवल लाइसेंस रद्द कराए जाएंगे बल्कि उनकी दुकानों को वापस देते हुए उन पर अर्थ दंड भी लगाया जा सकता है।

अधिक दाम पर बेचने के आरोप को वेंडर्स ने बताया निराधार
बैठक में स्टांप विक्रेताओं ने अनुमंडल पदाधिकारी को आश्वस्त किया कि वे स्टांप की मुद्रित राशि से अधिक राशि नहीं लेते हैं, साथ ही उन्होंने दावा किया कि अगर इस बात की शिकायत मिली हो कि अधिक राशि पर स्टांप बेचे जा रहे हैं तो यह बात बिल्कुल निराधार है।
अंत में स्टांप वेंडर्स ने एसडीएम का धन्यवाद किया कि कम से कम पहली बार इस तरह से बैठक कर उनसे जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और समीक्षा की गई।

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