पांकी में 1 एमबीबीएस डॉक्टर के सहारे संचारित हो रहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
पांकी में 1 एमबीबीएस डॉक्टर के सहारे संचारित हो रहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
दो एमबीबीएस चिकित्सक, नेत्र सहायक, बीपीएम एवं अकाउंटेंट का भी हुआ स्थानांतरण,नहीं हुई पोस्टिंग
पांकी प्रखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था इन दिनों चरमरा गई है यहां पदस्थापित डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों कि पहले से भारी कमी के बावजूद 30 जुलाई को 2 एमबीबीएस डॉक्टर एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का स्थानांतरण हो गया जिससे स्थिति गंभीर हो गई, स्थानांतरण के बावजूद चिकित्सक के पदों समेत अन्य पदों पर कर्मी की पोस्टिंग नहीं की गई है जिससे और अधिक स्थिति गंभीर होने की संभावना बनी हुई है।
पांकी प्रखंड की कुल आबादी लगभग 203000 के आसपास है, प्रखंड में कुल 13 डॉक्टर की आवश्यकता है जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर महेंद्र प्रसाद के अलावे कोई अन्य एमबीबीएस डॉक्टर नहीं हैं, प्रखंड क्षेत्र में कुल चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावे 18 स्वास्थ्य उप केंद्र हैं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लोहारसी को छोड़कर कोनवाई, आसेहार, एवं बोरोदीरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई भी एमबीबीएस डॉक्टर नहीं हैं।
पूर्व में पदस्थापित डॉ किरण कुमारी एवं डॉक्टर मुर्मू के तबादले के बाद अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ एक डॉ महेंद्र प्रसाद हैं जो प्रभारी चिकित्सा प्रभारी भी हैं ऐसे में एक डॉक्टर को न केवल ओपीडी व इमरजेंसी देखनी होगी बल्कि उन्हें विभागीय कार्यों प्रशासनिक बैठकों मैं भी हिस्सा लेना पड़ेगा इस कारण 24 घंटे की स्वास्थ्य सेवा बनाए रखना बेहद कठिन हो गया है।
तबादले के बाद रिक्त हुए चिकित्सकों समेत अन्य पदों पर नए कर्मियों की नियुक्ति नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं पर भी संकट मंडरा रहा है।
प्रखंड क्षेत्र में एमबीबीएस चिकित्सकों की कमी को लेकर प्रखंड प्रमुख पंचम प्रसाद एवं मुखिया संघ उपाध्यक्ष मुकेश सिंह ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए झारखंड सरकार से तत्काल स्वास्थ्य केंद्र के रिक्त पदों पर तत्काल पोस्टिंग की मांग की है।
इस संबंध में चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर महेंद्र प्रसाद ने बताया कि पूर्व में भी स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों की कमी थी, प्रखंड में कुल 13 चिकित्सकों की आवश्यकता है। ऐसे में दो एमबीबीएस चिकित्सक के तबादले के बाद नए कर्मियों की तैनाती नहीं की गई ऐसे में तेरह डॉक्टरों की जगह दो डॉक्टर और बिन बीपीएम के स्वास्थ्य सेवा जारी रखना बेहद कठिन हो गया है।

