जननायक कर्पूरी ठाकुर के जयंती पर अविनाश देव ने किया नमन

जननायक कर्पूरी ठाकुर के जयंती पर अविनाश देव ने किया नमन

भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर ने मुंगेर लाल के हसीन सपनों को जमीन पर उतारा : अविनाश देव

मेदिनीनगर। आज कर्पूरी जयंती है। सामाजिक न्याय पसंद हर भारतीय नागरिक बड़े एहतराम से उन्हें नमन कर रहा है। अपने नगर निगम क्षेत्र में चैनपुर स्थित भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किए। कर्पूरी विचार मंच के साथियों एवं दर्शकों के साथ अपने विचार साझा करते हुए संत मरियम विद्यालय के चेयरमैन अविनाश देव कहा कि उत्तर भारत के, खासकर हिंदी पट्टी, सामंतशाही, जमींदारी, जातिवादी प्रथाओं से घिरा, जकड़ा इलाका था, जहां आदमी आदमी के बीच भेदभाव था, इंसानियत हमेशा घायल रहती थी, सामंती ताकतें सर चढ़कर बोलती थीं। न बढ़िया भोजन, न कपड़ा, न खाट पर बैठने की इजाजत, न सम्मान; तब ऐसी दुरूह स्थिति में जीना मुहाल था। तब ऐसे दौर में उत्तरी बिहार के समस्तीपुर में 24 जनवरी 1924 को एक नवजात का जन्म होता है, जो आगे चलकर कर्पूरी ठाकुर के नाम से जाना जाता है। जन्म के सौ साल बाद भारत रत्न से नवाजा गया। नौ बार बिहार विधानसभा के सदस्य, एक बार संसद सदस्य और तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे। शिक्षा और सामाजिक न्याय के लिए मृत्यु पर्यंत लड़ते रहे। सवर्ण जातियों ने इन्हें अपमानित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। तंग आकर नेता को विपक्ष से इस्तीफा देना पड़ा। सामाजिक न्याय के लिए सड़क से सदन तक लंबी लड़ाई लड़ी। सामाजिक न्याय के लिए मुंगेर लाल आयोग की सिफारिशों को सख्ती से लागू करवाया। पहली बार सवर्णों को 3 प्रतिशत, महिलाओं को 3 प्रतिशत, अति पिछड़ों को 12 प्रतिशत और पिछड़ी जातियों को 8 प्रतिशत आरक्षण लागू किया। लोग बोलते हैं कर्पूरी ठाकुर ने क्या किया? हम कहते हैं कि कर्पूरी ठाकुर ने सामाजिक न्याय के लिए क्या नहीं किया! उनके विचारों पर चलना ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मेरा आग्रह है कि निगम और सरकार उनके जीवन से जुड़ा, क्योंकि वे पलामू की यात्रा कर चुके हैं, प्रमंडलीय मुख्यालय में एक संग्रहालय बनवाएं, ताकि उनके विचार जन-जन तक पहुंच सकें।