“गोस्वामी तुलसीदास जयंती: भक्ति, साहित्य और संस्कृति का अमर प्रकाश स्तंभ”
अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य भारती रांची के उपाध्यक्ष सह श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि गोस्वामी तुलसीदास जयंती का पर्व इस वर्ष 31 जुलाई दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। यह तिथि श्रावण मास की सप्तमी को पड़ती है जिसे महान संत कवि और भक्त गोस्वामी तुलसी दास जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। गोस्वामी तुलसीदास जयंती, भारतीय धर्म और साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन हम उन महान संत की याद में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी से धर्म, भक्ति, और आदर्श जीवन के संदेश को जन-जन तक पहुँचाया। महान ग्रंथ श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने कुल 12 ग्रंथों की रचना की। सबसे अधिक ख्याति उनके द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस को मिली,ये उन्होंने सरल अवधि भाषा में लिखी। श्रीरामचरितमानस के बाद हनुमान चालीसा उनकी लोकप्रिय रचना है। गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान शिव और माता पार्वती के मार्गदर्शन से अपने जीवन में सगुण रामभक्ति की धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि वह धारा आज भी प्रवाहित हो रही है। रामभक्ति के द्वारा न केवल अपना ही जीवन कृतार्थ किया अपितु जन-जन को श्रीराम के आदर्शों से बांधने का प्रयास किया।गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। वे हिंदी साहित्य के महान कवि और संत थे, जिनकी काव्य रचनाएँ विशेष रूप से भगवान राम के प्रति उनकी गहरी भक्ति को दर्शाती हैं। उनके प्रमुख ग्रंथों में ‘रामचरितमानस’, ‘हनुमान चालीसा’, ‘दोहावली’, और ‘कवितावली’ शामिल हैं। ‘रामचरितमानस’ उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है, जो वाल्मीकि की रामायण का हिंदी में सरल रूपांतरण है। इस ग्रंथ में भगवान राम की जीवनी को सरल और सरस भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे हर व्यक्ति इसे आसानी से समझ सके। उन्होंने अपना अंतिम समय काशी में व्यतीत किया और प्रभु श्रीराम का स्मरण करते हुए अपने शरीर का त्याग किया एवं उनकी आत्मा प्रभु श्री राम में विलीन हो गई। उनके ग्रंथों में भगवान राम के जीवन के आदर्श पहलुओं को उजागर किया गया है, जो हर भक्त के लिए मार्गदर्शक हैं। ‘हनुमान चालीसा’ में हनुमान जी की शक्तियों और उनके भक्तों के प्रति असीम कृपा का वर्णन किया गया है, जो भक्तों को साहस और विश्वास प्रदान करता है। गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर हम उनकी शिक्षाओं और रचनाओं की महत्ता को समझते हुए, अपने जीवन को धार्मिकता और भक्ति की दिशा में आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं। उनका जीवन और उनके ग्रंथ हमारे लिए सदैव प्रेरणा के स्रोत रहेंगे, और हम उनकी उपासना के माध्यम से उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने अपने काव्य में केवल धार्मिक भावनाओं को ही नहीं बल्कि सामाजिक समरसता सदाचार और करूणा जैसे मानवीय मूल्यों को भी स्थान दिया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को भगवान श्री राम के आदर्शों से जुड़ने का कार्य किया उन्होंने भक्ति को ही मोक्ष का मार्ग बताया और बताया कि प्रभु केवल भाव के भूखे हैं, जाति भाषा वर्ण के नहीं। गोस्वामी तुलसीदास जयंती केवल एक कवि या संत की जयंती नहीं है यह दिन हमें उनके दिखाएं मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है आज जब समाज अनेक प्रकार की चुनौतियों से गुजर रहा है तुलसीदास जी के विचार उनकी भक्ति और साहित्य एक प्रकाश स्तंभ की भांति मार्गदर्शन करता है उनकी रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस युग में थी। रामचरितमानस की चौपाइयां में आज भी भारतीय संस्कृति की आत्मा बसती है तुलसीदास का जीवन काव्य और भक्ति अनंत काल तक मानवता को राह दिखाते रहेंगे।

