चार वर्षो से बना करोडो का हॉस्पिटल बिना उद्धघाटन के खोला
स्वास्थ्य विभाग का कमाल चार वर्षो से बना करोडो का हॉस्पिटल बिना उद्धघाटन के खोला
लोहरदगा : लोहरदगा जिला झारखण्ड का सबसे छोटा जिला के रूप मे जाना जाता है और प्रशासनिक दृष्टिकोण से विकेंद्रिकृत कर प्रशासन आपके द्वार बनाने की सरकार की योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है! अधिकार और विकास के लिए छोटी इकाई को अधिकार प्राप्त होता है तो विकास की गति तीव्र होती है यही सोच के साथ लोहरदगा को सबसे छोटा जिला बनाया गया था लेकिन आज लोहरदगा जिला बने हुए लगभग 42वर्ष हो चुके है लेकिन अभी भी विकास की गति काफ़ी धीमी है और विकास से कोसों दूर है!जब शिक्षा और स्वास्थ्य जो मुलभुत आवश्यकतायें होती है किसी भी आम आदमी के लिए वो भी सरकार मैयसर नहीं करा पा रहे है तब तो यही कहा जा सकता है की हमारी नेतृत्व क्षमता नेतृत्वविहीन और अदूरदर्शिता पूर्ण है जिन्हे आम जनता की मुलभुत आवश्यकतावों से मतलब नहीं है केवल वोट लेने के खातिर हर हथकंडा अपनाते है और लालच देकर मुर्ख बनाने का खेला किया जा रहा है!इसी का एक उदाहरण चिरी ग्राम अवस्थित चिरी नवाटोली मे सरकारी हॉस्पिटल बने चार साल हो गए है लेकिन वहां डेस्क इंचार्ज अनामिका भारती संवाददाता अपने चीफ ब्यूरो किशोर वर्मा के साथ जमीनी हकीकत देखने पहुंचे तो ग्रामीणों ने जानकारी दिया की आजतक एक भी डॉक्टर इस नये हॉस्पिटल में नहीं पहुँच पाया है बस एक दो नर्स आते है एक दो घंटे रहते है और चले जाते है दवाई भी लोगों को प्राप्त नहीं हो पाता है, ऐसे मे लोगों का समुचित इलाज कैसे संभव हो सकता है जब डॉक्टर आते ही नहीं हो, वहां के आसपास के लोगों का तो कहना है की उद्धघाटन हुआ ही नहीं जबकि लगभग 60 बेड, दो बड़े जेनरेटर, ऑक्सीजन प्लांट, बोरिंग वेल, पारा मेडिकल स्टॉफ आवास, चतुर्थ वर्गीय स्टॉफ आवास, इत्यादि की अच्छी सुविधा उक्त अस्पताल में बना तो दिया गया है, कोरोना काल में कोविड मरीजों को रखने के लिए ही मात्र इसका उपयोग किया गया था उसके बाद से तो एक चिड़िया भी वहां “पर “नहीं मार सकती है इंसान की औकात या बिसात ही क्या जो हॉस्पिटल में जा सके”! हॉस्पिटल के अंदर का घास भी देखा जा सकता है कितना बड़ा हो गया है जिसे काटा भी नहीं जा सका है अंदर जाने मे भी सांप बिच्छू का डर हमेशा बना रहता है इसलिए आज तक स्वास्थ्य विभाग एक डॉक्टर तक नहीं पदास्थापन कर ग्रामीणों की बीमारी गर्भवती महिलाओं को इलाज या सेवा कर सका है, जबकि हॉस्पिटल में चिरी नवाटोली , नगड़ा टांड,गोपिटोला,गोपीटोला, चाँपी, सुंदरु, हरिहरपुर, लल्का टोली एवं चिरी पंचायत की लगभग पांच हजार आबादी अभी भी स्वास्थ्य की जाँच या बीमारी पर लोहरदगा 10किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, सरकार द्वारा और जिला प्रशासन
द्वारा कोई करवाई नहीं किया जाना दर्शाता है की आम जनता की लाभ हेतु किसी को कोई सुध बुध नहीं है और न मतलब है! पूछने पर हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है की हॉस्पिटल एक साल से चालू है डॉक्टर का प्रतिनियोजन किया गया है और नर्स का भी लेकिन जमीनी हकीकत ये बयां करती है जब दोपहर मे पत्रकार पहुंचे तो ताला बंद था अंदर घास थे पूछने पर बताया गया की एक दो बार नर्स कभी आये होंगे डॉक्टर तो कभी आया ही नहीं अब ये हाल है स्वास्थ्य विभाग का तो लोग बरसात मे कैसे स्वास्थ्य रहेंगे इनके भरोसे आप जान सकते है यदि हम स्वयं जागरूक नहीं रहे तो हॉस्पिटल के भरोसे जिन्दा आदमी की मौत हो जाएगी |
पत्रकारों को चिरी बेर टोली निवासी इंतियाज अंसारी,रुकसाना खातून, सरबाज अंसारी, गफूर अंसारी, ताहिर अंसारी, आरिफ अंसारी, रजिया खातून ने कहा की हम सबको अभी भी इंतजार है हॉस्पिटल रोज खुलने का ताकि महिलाओं को डिलीवरी और गंभीर बीमार होने पर सही और समय पर इलाज कराया जा सके! लेकिन इम्तेयाज अंसारी का कहना है की सरकार उदासीन तो है ही लेकिन जनप्रतिनिधि को भी गाँव देहात मे क्या दिक्कत मुश्किल हो रही है उसकी सुध बुध लेते नहीं है केवल वोट के समय आते है और बड़ी बड़ी बात बोल कर लालच देकर वोट मांग कर चुनाव जीतते है और चुनाव जितने के बाद ग्रामीणों की क्या दुर्दशा हो रही है गाँव की बदतर हालत की समस्या जस की तस पड़ी रहती है केवल बदलाव होती है और विकास होता है तो मात्र चमचो की या इर्द गिर्द रहने वालों की और आम जनता ठगा सा महसूस करता है जैसा चिरी का नवा टोली का यह नवनिर्मित करोडो का भवन अपने को ठगा सा महसूस करा रहा हैँ की बना तो दिया गया लेकिन कोई उपयोगिता नहीं हैँ, ऐसे कई और जिला में उदाहरण मिलेंगे जिससे साबित होता हैँ की विकास आखिर किसका और कहाँ हो रहा हैँ देखने समझने की आवस्यकता होंगी!
