20 वर्षों से बदहाल जामटोली–ग्वालखाड़ सड़क ने रोका विकास
नुकीले पत्थरों पर जान जोखिम में ग्रामीण , एंबुलेंस का प्रवेश बंद
पेयजल संकट से जूझ रहा गांव, शादी के रिश्ते ठप
आक्रोशित ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान
महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय से सटे रेगाई पंचायत के जाम टोली से ग्वालखाड़ को जोड़ने वाली सड़क पिछले दो दशकों से बदहाली की तस्वीर बनी हुई है सड़क की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि कई स्थानों पर नुकीले पत्थर बाहर निकल आए हैंइस मार्ग से पैदल या दोपहिया वाहन से गुजरना ग्रामीणों के लिए रोज़ाना खतरे से भरा साबित हो रहा है।ग्रामीणों ने बताया कि रात के समय इस सड़क पर चलना बेहद जोखिम भरा हो गया है। आए दिन बाइक सवार गिरकर घायल हो रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि अंधेरा होते ही लोग इस सड़क से आवाजाही से बचते हैं। सड़क जर्जर होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती, जिससे गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और गंभीर रूप से बीमार लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। कई बार मरीजों को खाट या बाइक के सहारे बाजार या अस्पताल तक ले जाना पड़ता है।सड़क के साथ-साथ गांव गंभीर पेयजल संकट से भी जूझ रहा है। ग्रामीणों के अनुसार गांव में एक जलमिनार मौजूद है, लेकिन उससे सभी घरों तक नियमित और पर्याप्त पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। कई दिनों तक पानी नहीं मिलने से घरों में खाना बनाना तक मुश्किल हो जाता है। महिलाओं को पानी के लिए दूर-दराज भटकना पड़ता है।ग्रामीणों का कहना है कि बुनियादी सुविधाओं की कमी का असर अब सामाजिक जीवन पर भी साफ नजर आने लगा है। खराब सड़क, पानी की समस्या और आवागमन में कठिनाई के कारण गांव में शादी-विवाह के लिए रिश्ते आने लगभग बंद हो गए हैं। लोग अपनी बेटियों की शादी यहां करने से परहेज कर रहे हैं।दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण और पेयजल समस्या को लेकर कई बार संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला। जमीनी स्तर पर अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।लगातार उपेक्षा से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र जाम टोली–ग्वालखाड़ सड़क का निर्माण और पेयजल संकट का स्थायी समाधान नहीं किया गया, तो वे आगामी चुनाव का सामूहिक रूप से बहिष्कार करेंगे

