लोक एवं जनजातीय कला का संवर्द्धन हमारा धर्म है : अशोक कुमार सिंह

लोक एवं जनजातीय कला का संवर्द्धन हमारा धर्म है : अशोक कुमार सिंह

गढ़वा जिला में लोक एवं जनजातीय कला की वर्तमान स्थिति पता करने की दृष्टि से जब भंडरिया प्रखंड अंतर्गत स्थित ग्राम जनेवा(बंगाली डेरा) में कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती के झारखंड प्रांत के मंत्री व पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच, नवादा (गढ़वा) के निदेशक नीरज श्रीधर ‘स्वर्गीय’ तथा संस्कार भारती छत्तीसगढ़ प्रांत के संगीत विधा के सह संयोजक पवन पांडेय ने प्रवास किया तो वहाँ के कला-साधकों की स्थिति जानकर उन्हें अत्यन्त दुख का अनुभव हुआ।
प्रवास के दौरान हुई एक बैठक में वहीं के निवासी अशोक कुमार सिंह ने उन्हें बताया कि जनजातीय कला को जीवित रखने का कार्य जो कला-साधक कर रहे हैं उन्हें कला संवर्द्धन हेतु सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। शासन-प्रशासन द्वारा छोटे-बड़े आयोजनों में अक्सर बड़ी धन राशि खर्च कर बाहरी कलाकारों को बुलाया जाता है जिससे स्थानीय कला साधकों को अपनी कला प्रदर्शन का मौका मिल नहीं पाता। ऐसी दशा में स्थानीय कला साधकों का मनोबल टूटता है।
उन्होंने आगे बताया कि जनजातीय कला साधकों की आजीविका का कोई दूसरा स्थायी साधन भी नहीं है। वे जैसे-तैसे अपना गुजरा करने को विवश हैं। ऐसी विकट स्थिति को देखते हुए उन कला साधकों की अगली पीढ़ी जनजातीय कला से विमुख हो दूसरा कार्य करने को बाध्य हो रहे हैं।
अशोक कुमार सिंह ने कहा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जनजातीय कला के संवर्द्धन को मैं अपना धर्म मानता हूँ।
नीरज श्रीधर ‘स्वर्गीय’ ने कहा कि पूर्व की सरकार के द्वारा कलाकारों के सम्वर्द्धन और प्रोत्साहन के लिए ‘सुबह-सवेरे’ और ‘शनि परब’ नामक कार्यक्रम चलाया जा रहा था। उस साप्ताहिक कार्यक्रम के माध्यम से लोककला साधकों और जनजातीय कला साधकों को उचित मंच के साथ साथ प्रोत्साहन राशि भी मिल रही थी। इस प्रकार के आयोजन को वर्तमान सरकार के द्वारा भी शीघ्र प्रारंभ करना चाहिए। अन्यथा अपनी भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जनजातीय कला साधक एवं लोककला साधक ही जब ठीक नहीं रहेंगे तो अपनी संस्कृति कैसे बच पाएगी? हमारी कला संस्कृति को जीवित रखने में अतुल्य योगदान देने वाले लोककला साधक और जनजातीय कला साधक हमारे सांस्कृतिक राजदूत हैं । इन्हें उचित सम्मान,धन और अवसर शासन-प्रशासन के द्वारा निश्चित ही उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
पवन पांडेय ने कहा कि हम सभी को मिलकर लोककला एवं जनजातीय कला के कला साधकों की वर्तमान स्थिति को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाना चाहिए।
इस अवसर पर विश्वनाथ सिंह ,वासुदेव सिंह , गंगा सिंह ,तेजप्रताप सिंह , शंकर सिंह तथा उदित नारायण आदि कला साधक उपस्थित थे।

Hacklinkholiganbet
holiganbet
holiganbet
Jojobet giriş
Jojobet giriş
Jojobet giriş
casibom giriş
casibom giriş
casibom giriş
xbet
xbet
xbet
marsbahis
tarafbet
marsbahis giriş
tarafbet giriş
extrabet
extrabet giriş
production agency toronto Sesli Sohbet diyarbakır escort beylikdüzü escort sonbahis Çerkezköy escort trabzon escort imajbet imajbet giriş imajbet güncel giriş extrabet extrabet giriş extrabet güncel giriş imajbet imajbet giriş hatay escort slot siteleri deneme bonusu veren siteler Bursa Escort Mersin Escort Mersin Escort pendik korsan taksi Tekirdağ escort Mersin Çağdaşkent escort bahiscasino bahiscasino giriş Mersin escort bayan Mersin Escort Eskişehir Escort Mersin Escort Kemer Escort Çeşme Escort istanbul eskişehir arası nakliyat istanbul bursa ambar Milas Escort