एससी एसटी आरक्षण को लेकर भड़के शत्रुधन कुमार शत्रु

एससी एसटी आरक्षण का वर्गीकरण करने का अधिकार केवल संसद व राष्ट्रपति को है: शत्रुघ्न कुमार शत्रु
3 अगस्त 2024 (मेदिनीनगर)
झारखण्ड क्रांति मंच के संस्थापक सह केन्द्रीय अध्यक्ष शत्रुघ्न कुमार शत्रु ने आज मेदिनीनगर में प्रेस बयान जारी कर कहा है कि एससी-एसटी के आरक्षित कोटे के अन्दर वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार आर्टिकल 341 के तहत केवल संसद व राष्ट्रपति के पास है,इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के कोलेजियम सिस्टम द्वारा चुने गए 6 सदस्यीय जजों के द्वारा दिया गया फैसला इस देश में एससी एसटी आरक्षण को समाप्त करने के षडयंत्र की न्यायिक शुरुआत है,जिसके व्यापक अध्ययन के बाद 2 अप्रैल 2018 की तरह देशव्यापी आंदोलन पर भी विचार किया जाएगा।
जारी बयान में उन्होंने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट की इच्छाशक्ति सही होती तो ना तो इस देश में निजीकरण के द्वारा आरक्षित वर्गों की नौकरियों पर हमला होता,और ना ही मनुवादी सोच से ग्रसित विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा एससी एसटी सब प्लान की राशि दूसरे मद में खर्च कर इन्हें इसी हाल में रहने को अभिशप्त होना पड़ता?
बयान में झारखण्ड क्रांति मंच के अध्यक्ष ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस श्री डी०वाई०चन्द्रचूड़ समेत बिना प्रतियोगिता परीक्षा के कोलेजियम से चंद घरानों से चयनित जजों ने आखिर क्यों नहीं 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण के अन्दर वर्गीकरण पर इस तरह का फैसला दिया? सुप्रीम कोर्ट तब क्यों संज्ञान नहीं लेता,जब बहुत सारी न्यूक्तियों में “नोट एभेलेबल के बाद नोट सुटेबल” का तमगा लगाकर आखिर में उन पदों को एक साज़िश के तहत जेनरल से भर दिया जाता है।
बयान में उन्होंने कहा है कि इस मामले में जस्टिस बेला त्रिवेदी जी के विचार से हम सहमत हैं, जिन्होंने इसे संवैधानिक प्रावधानों के विपरित बताया है।जिस देश में गंदे नाली,गटर व शौचालयों में उतर कर सफाई करनेवाली घोर उपेक्षित अनुसूचित जातियों के लिए भी सरकारी नौकरी की व्यवस्था नहीं है, उन्हें जीने के लिए भी 10000₹ तक के लिए आन्दोलन करना पड़ता है, वहां का जातिवादी व मनुवादी सुप्रीम कोर्ट क्या वाकई में उनका विकास व जायज प्रतिनिधित्व कभी देना चाहेगा?यह चिंतन का विषय है।