शिक्षा मानव जीवन का श्रृंगार है—-नीरज श्रीधर

शिक्षा मानव जीवन का श्रृंगार है। हमारा संविधान भी सभी को अनिवार्य रूप से शिक्षित करने का अधिकार प्रदान करता है।
उक्त बाते संस्कार भारती के झारखंड प्रांत के मंत्री नीरज श्रीधर स्वर्गीय ने कही है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है।किन्तु झारखण्ड राज्य के लगभग सभी स्तर के विद्यालयों में शिक्षकों का घोर अभाव है,जिसके कारण असंख्य विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है।
झारखण्ड राज्य के गठन के 24 वर्ष के बाद भी प्रारम्भिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में व्याप्त यह कमी अत्यंत चिंताजनक है। लेकिन किसी भी चुनाव में किसी भी दल या जनप्रतिनिधि द्वारा इसे मुद्दा नहीं बनाया जाना भी उनकी मानसिकता को दर्शाता कि उन्हें भी जनता के शिक्षित होने से कोई मतलब नहीं है। इसका एक कारण यह भी लगता है कि जिनके बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ते हैं उनमें से अधिकांश अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा से ज्यादा पोशाक और मध्याह्न भोजन की चिंता रहती है। उनके द्वारा कभी भी शिक्षक की कमी का मुद्दा नहीं उठाया जाना उक्त भावना की पुष्टि करता है।मुझे लगता है कि उन अभिभावकों की ऐसी सोच का कारण उनकी बेरोजगारी या रोजगार हेतु पलायन की विवशता है।
सरकार को चाहिए कि वर्ष में कम से कम दो बार शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन कर शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण करना चाहिए।
शिक्षकों के अभाव में देश के नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले दोषी लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।