शैक्षणिक संस्थाओं के इर्द-गिर्द शराब बिक्री पर रोक लगाने को लेकर युवाओं ने एसडीपीओ को सौंपा ज्ञापन

शैक्षणिक संस्थाओं के इर्द-गिर्द शराब बिक्री पर रोक लगाने को लेकर युवाओं ने एसडीपीओ को सौंपा ज्ञापन
हैदरनगर। हैदरनगर बालिका उच्च विद्यालय एवं अन्य शैक्षणिक संस्थाओं के इर्द-गिर्द शराब की बिक्री पर रोक लगाने को लेकर हेल्पिंग क्रॉप फाउंडेशन, मानवाधिकार एवं पर्यावरण सेल के पलामू जिला समन्वयक सह युवा समाजसेवी एआर रहमान खान ने अपने युवा साथियों के साथ मिलकर हुसैनाबाद एसडीपीओ मुकेश कुमार महतो को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में उन्होंने लिखा है कि निवेदन पूर्वक कहना यह है कि हैदरनगर बालिका उच्च विद्यालय एवं वहां पर स्थित अन्य शैक्षणिक संस्थानों के इर्द-गिर्द अवैध रूप से शराब बेची जाती है, जिस कारण आस-पास प्रतिदिन शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है, जो शराब पीकर शैक्षणिक संस्थानों के आस-पास उत्पात मचाते रहते हैं और नशे में धुत होकर छात्र-छात्राओं पर अभद्र टिप्पणियां भी करते हैं, जिससे छात्र-छात्राओं…खासकर छात्राओं को भय व असहजता महसूस होती है, यह स्थिति उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल रही है और उनकी शिक्षा में भी बाधा बन रही है। साथ ही, ज़िला उपायुक्त के आदेशानुसार लगाये गये शैक्षणिक संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा का भी पालन नहीं किया जा रहा है। अतः श्रीमान से आग्रह है कि छात्र-छात्राओं की उक्त समस्याओं को देखते हुए जांचोपरांत इस शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की कृपा की जाए। मौके पर एआर रहमान खान ने बताया कि इस ज्ञापन की प्रतिलिपि पलामू एसपी एवं हैदरनगर थाना प्रभारी को भी प्रेषित की गई है। ज्ञापन सौंपने वालों में अदनान अहमद, शाहनवाज खान आदि का नाम उल्लेखनीय है। ज्ञापन देने के बाद एआर रहमान खान ने मीडिया को बताया कि कुछ लोगों का कहना है कि जहां शराब की बिक्री हो रही है, वह दुकान लाइसेंसधारी है, फिर भी सरकारी विद्यालय, वह भी बालिका उच्च विद्यालय के इतने निकट उक्त दुकानदार को शराब बिक्री का लाइसेंस किसने दिया…? यह भी जांच के दायरे में आना चाहिए, क्योंकि शराब बिक्री के कारण वहां शराबियों के जमावड़े लगने से छात्राएं आए दिन शराबियों के गलत कॉमेंट्स की शिकार होती रहती हैं। साथ ही, बच्चियों के साथ बड़ी अनहोनी के अंदेशे को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए शराब की बिक्री वैध रूप से हो रही है या अवैध रूप से, यह मायने नहीं रखता, मायने यह रखता है कि वहां हमारे समाज की बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। अतः इस पर प्रशासनिक हस्तक्षेप की सख्त आवश्यकता है।