प्रोटोकॉल को ताक पर रखकर बुलाई गई एडहॉक कमिटी की बैठक, सरकारी पदाधिकारी रहे नदारद
महुआडांड़ झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर नेतरहाट विद्यालय प्रकरण में गठित एडहॉक कमिटी की बैठक को लेकर नया विवाद सामने आया है। आरोप है कि 23 दिसंबर 2025 को आयोजित की गई बैठक नियमों एवं प्रशासनिक प्रोटोकॉल की अनदेखी करते हुए बुलाई गई, जबकि बैठक में किसी भी सरकारी पदाधिकारी की उपस्थिति नहीं रही।प्राप्त जानकारी के अनुसार, माननीय हाई कोर्ट के आदेश पर एडहॉक सामान्य निकाय एवं एडहॉक कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया है। नियमानुसार सामान्य निकाय सर्वोच्च इकाई होती है, जिसके अध्यक्ष राज्य के शिक्षा मंत्री होते हैं। नियम यह भी स्पष्ट करता है कि सामान्य निकाय या कार्यकारिणी समिति की किसी भी बैठक की सूचना शिक्षा मंत्री के निर्देश पर ही प्राचार्य सह सदस्य सचिव द्वारा जारी की जानी चाहिए।इसके विपरीत, आरोप है कि उक्त बैठक एडहॉक कमिटी कीकार्यकारिणी समिति के सभापति प्रो. अशोक सिन्हा द्वारा अपने स्तर से ही बुला ली गई। इस संबंध में प्राचार्य सह सदस्य सचिव ने एक पत्र जारी कर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शासी निकाय की अनुमति एवं प्राचार्य के हस्ताक्षर के बिना बैठक की सूचना जारी करना नियमों के खिलाफ है और इसे वैध नहीं माना जा सकता।प्राचार्य ने बैठक के एजेंडा पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि जब माननीय न्यायालय द्वारा पहले हीएडहॉक कमिटी का गठन किया जा चुका है, तो फिर किसी अन्य कमिटी की आवश्यकता क्यों बताई जा रही है। इसके साथ ही जनहित याचिका (PIL) के पक्षकार रहे श्री रमा निवास को स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाए जाने के प्रयास पर भी आपत्ति जताई गई है।पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि बिना सक्षम प्राधिकार की अनुमति के सरकारी कार्यालय में बाहरी व्यक्तियों को बार-बार प्रवेश, बैठने तथा दस्तावेजों को देखने की अनुमति दी जा रही है, जिससे प्रशासनिक गोपनीयता भंग होने की आशंका उत्पन्न हो गई है।उल्लेखनीय है कि 23 दिसंबर को आयोजित इस बैठक में एडहॉक कमिटी के केवल तीन सदस्य ही उपस्थित थे। इनमें श्री केदारनाथ लाल दास, श्री रमा निवास एवं श्री नवीन शामिल थे, जबकि शिक्षा विभाग अथवा जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी बैठक में मौजूद नहीं थे

