होली पर्व की शुरुआत पिता पुत्र की बेचारिक लड़ाई का परिणाम है

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होली के मूल उपदेशों को बढ़ाना चाहिए । होली पर्व की शुरुआत पिता पुत्र की बेचारिक लड़ाई का परिणाम है, होली।

लातेहार चनंडीह गायत्री प्रज्ञा कुंज में अखिल विश्व गायत्री परिवार का होली मिलन समारोह हुआ।
गायत्री परिवार के समन्वयक दिलेश्वर यादव ने बताएं की होली बाप बेटा की वैचारिक लड़ाई है। बाप कहता है कि दारु पी, बेटा प्रहलाद कहता है कि दूध पिये। पिता हिरण कश्यप का कहता है की अश्लील नाच गाना करो। पुत्र प्रहलाद कहता है कि भजन गावो ,इसी बात को लेकर के दोनों में मतभेद होता था। बेचारीक आचरण की लड़ाई गंभीर रूप ले चुकी थी। जिसका निवारण भगवान विष्णु का अवतार नरसिंह अवतार के रूप में हुआ । होली के ही दिन हिरण कश्यप का बध हुआ। व्यबिचारी ,समाज द्रोही ,भ्रष्टाचारी ,समाज के दुश्मन दारू पिवहा हिरण कश्यप का नाश हुआ । भक्त प्रहलाद समाजसेवी भक्त, संस्कार शिष्टाचार ज्ञानवान सभी को सम्मानित करने वाला भक्त प्रहलाद की जय जयकार हुआ,। ईसी खुशी में अखंड भारत के वैदिक काल में होली का शुभारंभ हुआ।

रितेश कुमार कि ने बताया कि गायत्री परिवार का उपदेश है। शक्तिपीठ के माध्यम से नशा मुक्ति, मुंडन संस्कार 16 संस्कार करने का काम किया जाता है।

,इस मंदिर के परिवाचक कोसल शर्मा जी ,सुशिल प्रसाद यादव पलामु जोन प्रमुख, राजेन्द्र प्रसाद जयसवाल
बलराम सिह रितेश कुमार निकु, दिलेश्वर यादव, बबन पासवान, अरविंद पाण्डेय, संदीप प्रसाद, प्रकाश गुप्ता, संचित प्रजापति, अनिता देवी, उर्मिला देवी, पुष्प वर्मा, विरेंद्र प्रसाद रमेश उरांव कमलेश उरांव प्रकाश गुप्ता देवेंद्र प्रसाद तिवारी जी लव कुमार तिवारी हिमांशु कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे।

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