ज्ञानी जैल सिंह के पुण्यतिथि श्रद्धांजलि सुमन अर्पित

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ज्ञानी जैल सिंह के पुण्यतिथि श्रद्धांजलि सुमन अर्पित
29 व पुण्यतिथि मनाया गया झारखंड प्रदेश विश्वकर्मा समाज गढ़वा जिला की ओर से ज्ञानी जैल सिंह को श्रद्धांजलि सुमन अर्पित।
ज्ञानी जैल सिंह का जन्म 5 में 1916 में हुई थी विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक केंद्र में मंत्री तक उन्होंने सफर तय किया भारत राष्ट्रपति 7 वे रूप में योगदान दिया 25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987 तक पद पर आसीन रहे भारत देश के पहले राष्ट्रपति थे जिनका धर्म सिख था राष्ट्रपति बनने के पूर्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रूप में गृह मंत्री सहित केंद्रीय मंत्रिमंडल के विभिन्न पदों पर रहे उनकी मृत्यु चंडीगढ़ दिनांक 25 दिसंबर 1994 में हुई
जब इंदिरा गांधी जी ने 1977 में चुनाव हारी तो करीब करीब उनके सभी साथी उनके साथ छोड़ दिया था एक वही व्यक्ति थे ज्ञानी जैल सिंह के इंदिरा जी का साथ कभी नहीं छोड़ा जब पंजाबी के मुख्यमंत्री रहे ज्ञानी जैल सिंह हालांकि इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी का साथ उनका गर्मजोशी भरे संबंध नहीं थे। संजय गांधी का आरोप था कि ज्ञानी जैल सिंह का पंजाब में विपक्ष के साथ जिसमें अकाली दल के नेतृत्व भी था जब चुनाव जीते तो संजय गांधी उनसे कहा कि कमिशन में जिन अधिकारी ने उनके खिलाफ गवाही दी उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया।
इनका सफर राजनीतिक जीवन में बहुत समय जेल में भी इन्होंने गुजारा इसीलिए पंजाब का जेलर ने जैल सिंह नाम रख दिया है एक पैर बाहर रहता था सामाजिक सेवा में एक पर जेल के अंदर रहता था जेलर इनको देखकर मुस्कुरा कर कहा कि जो आज से मैं तुम्हें ज्ञानी जैल सिंह नाम रख देता हूं क्योंकि जेल से बाहर जाता है फिर पुनः वापस आता है।
यह कार्यक्रम झारखंड प्रदेश विश्वकर्मा समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र विश्वकर्मा के आवास पर संपन्न हुआ इस मौके पर डॉक्टर सुचित विश्वकर्म बाबू लोहार शिवकुमार विश्वकर्मा ज्योति प्रकाश बबलू कुमार शर्मा तरनजीत विश्वकर्मा बबलू विश्वकर्मा मनोज विश्वकर्मा अशोक विश्वकर्मा राममिलन विश्वकर्मा सुखनाथ विश्वकर्मा राजकुमार शर्मा सुखनाथ विश्वकर्मा आदि लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित की।

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