छुआछूत, अमीरी-गरीबी, ऊंच नीच को दरकिनार कर 74 वर्षो तक पलामू और गढ़वा की जनता के दिलों में राज किए है —लाल हेमेंद्र प्रताप देहाती

छुआछूत, अमीरी-गरीबी, ऊंच नीच को दरकिनार कर 74 वर्षो तक पलामू और गढ़वा की जनता के दिलों में राज किए है लाल हेमेंद्र प्रताप देहाती
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– पलामू और गढ़वा की युगों युगों से प्यास बुझाने और खेतों को पानी देने की अंतिम दम तक लड़ाई लड़ने वाले 81 भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही के पिता व झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री लाल हेमंत प्रताप देहाती कि आज प्रथम पुण्यतिथि मनाई जा रही है। इस दिवस पर जहां पलामू और गढ़वा के लोग उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों, अंतिम वर्ग के लोगों के लिए लड़ाई लड़ने व उनकी सादगी को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं, वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए स्वर्गीय देहाती का स्वर्गवास होना व्यक्तिगत क्षति रही है। स्वर्गीय देहाती 90वर्ष की उम्र में आज ही के दिन 7 जनवरी 2023 को राजधानी रांची स्थित रिम्स हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली थी। कनहर सिंचाई योजना को धरातल पर उतरने के अधूरे सपने के साथ दुनिया को अलविदा कह गए। उन्होंने राज परिवार का सदस्य होने के बावजूद भी गरीबों के हक व अधिकार के लिए मरते दम तक संघर्ष किया। वे पलामू और गढ़वा की नदियों से यहां के खेतों को पानी देने की आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ते रहे।
अनथक संघर्ष के अप्रतिम योद्धा लाल हेमंत प्रताप देहाती उर्फ लाल साहब ने 8 अगस्त 1932 को कांडी प्रखंड के शिवपुर गांव में जन्म लिया था। बालक अवस्था से ही लाल साहब का समाज के लोगों से लगाव दिखने लगा था। पढ़ाई-लिखाई के दौरान ही जरूरतमंदों का सहयोग उनके स्वभाव का अनिवार्य अंग बन चुका था। तभी मात्र 17 साल के लाल हेमंत प्रताप देहाती के 1949 में ही राजनीतिक गतिविधियां प्रारंभ हो गई थी। सबके सहयोग की प्रवृत्ति बेहद मिलनसार स्वभाव व जन समस्याओं को लेकर संघर्ष के तत्परता से प्रेरित होकर 1958 में लोगों ने उन्हें परसोडीह पंचायत का मुखिया चुना। उनकी ईमानदारी और संघर्ष के बदौलत वे लगातार 1969 तक इस पंचायत के मुखिया रहें। इसी बीच उन्होंने 1962 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। पर 1969 में हुए विधानसभा के उपचुनाव में जनता ने उन्हें अपना भरपूर समर्थन देकर अपना विधायक बनाया।
1967 में पलामू में भीषण अकाल और सूखा पड़ा था। पूरे पलामू में त्राहिमाम मची हुई थी, लोग भूख और प्यास से दम तोड़ रहे थे। उस समय देहाती गरीबों की सेवा में जुटे रहे। इसी दरमियान उन्होंने पलामू और गढ़वा के खेतों को पानी देने कि सदन में आवाज उठाई। पलामू में उतरी कोयल, कनहर, सोन , अमानत सहित कई छोटी बड़ी नदियों से सिंचाई योजना को लेकर लगातार मुखर रहे।
विधानसभा में की थी भूख हड़ताल
बताते हैं कि उत्तरी कोयल नदी जो पलामू की सबसे बड़ी नदी है और यह आगे चलकर सोन नदी से मिल जाती है इस पर बांध बनने की योजना बनाई गई थी। लेकिन तत्कालीन बिहार सरकार के रोक लगाने से यह योजना अधर में लटक गई थी। 30 जून 1970 को बिहार विधानसभा के अंदर ही कोयल नदी से पानी देने के सवाल पर भूख हड़ताल पर बैठ गए। लोगों के लाख समझाने के बावजूद भी अपने हक और अधिकार के लिए लड़ाई लड़ते रहे और विधानसभा बंद होने पर भी अकेले पूरी रात अनशन पर बैठे रहे। अंत में सरकार को उनकी मांग माननी पड़ी। जिसके बाद उनका अनशन समाप्त हुआ। जिसके सतत परिणाम है उत्तरी कोयल जलाशय योजना। इधर वे कनहर डैम की लड़ाई आजीवन लड़ते रहे। सफलता नहीं मिलने पर किस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट भी चले गए। झारखंड बनने के बाद लाल हेमंत प्रताप देहाती मधुकोड़ा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे थे। वर्ष 2008 में मंत्री बनने के बाद अपनी जन्मभूमि पर कांडी प्रखंड के शिवपुर पहुंचे।
स्वास्थ्य उप केंद्र का शुरू कराया निर्माण
2000 से अधिक की आबादी होने वाले गांव में किसी तरह की सरकारी स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने का हवाला देकर लोगों ने इसकी गुहार देहाती जी से लगाई थी इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री लाल हेमंत प्रताप देहाती ने मौके पर मौजूद विभागीय अधिकारियों को हेल्थ सब सेंटर का निर्माण कराया जाने का आदेश दिया। इसके बाद शिवपुर गांव में स्वास्थ्य उप केंद्र भवन का निर्माण हुआ। लेकिन गांव के ही कुछ लोगों के बीच ठेकेदारी को लेकर विवाद होने के कारण भवन अधूरा रह गया।
पूर्व विधायकों की मदद के लिए बनाया था यूनियन
जब झारखंड अलग राज्य नहीं बना था उस समय उन्होंने बिहार के पूर्व विधायकों के सहयोग से एक यूनियन बनाया था। उन्होंने पूर्व विधायकों के हक की लड़ाई लड़ी। जब झारखंड अलग राज्य बना तो वह झारखंड के सभी पूर्व विधायकों का एक यूनियन पूर्व विधायक परिषद बनाकर उसे निबंधित कराया।