विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर कानूनी जागरूकता से साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया

झालसा रांची कें निर्देशानुसार तथा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार गिरिडीह श्री मनोज प्रसाद के आदेशानुसार एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार गिरिडीह श्रीमती सोनम बिश्नोई के नेतृत्व में आज दिनांक 31/ 5/24 को सदर अस्पताल गिरीडीह में विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर कानूनी जागरूकता से साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन श्री शिव प्रसाद मिश्रा ने बताया कि साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव द्वारा 31 मई 1988 में शुरुआत की गई। जिसका
उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय धूम्रपान निषेध सप्ताह में, जो 25 मई से आरंभ होता है, धूम्रपान उद्योग, स्वास्थ्य के लक्ष्यों को व्यावहारिक होने की दिशा में रुकावट, धूम्रपान उद्योग के मुक़ाबले में धार्मिक मान्यताएं, धूम्रपान को रोकना सबकी ज़िम्मेदारी, धूम्रपान के विस्तार के मुक़ाबले में विधि पालिका, न्याय पालिका और कार्यपालिका की ज़िम्मेदारी और अंततः धूम्रपान की अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों को बंद किया जाये जैसे विषयों की समीक्षा की जाती है ताकि इस मार्ग से धूम्रपान के सेवन में कमी और आम जनमत के स्वास्थ्य में वृद्धि की दिशा में महत्त्वपूर्ण क़दम उठाया जा सके।
विश्व धूम्रपान निषेध दिवस अथवा ‘विश्व तम्बाकू निषेध दिवस’ अथवा ‘अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस’ प्रत्येक वर्ष 31 मई को मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने 31 मई का दिन निर्धारित करके धूम्रपान के सेवन से होने वाली हानियों और ख़तरों से विश्व जनमत को अवगत कराके इसके उत्पाद एवं सेवन को कम करने की दिशा में आधारभूत कार्रवाई करने का प्रयास किया है। इसी दिशा में प्रतिवर्ष प्रतीकात्मक रूप में एक नारा निर्धारित किया जाता हैं। लीगल एंड डिफेंस काउंसिल के नजमुल हसन बताया कि इस दिन विभिन्न कार्यक्रम कर लोगों को तम्बाकू से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नुक़सान के बारे में बताया जाता है। हालांकि भारत में भी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पाबंदी है। इसका मक़सद तम्बाकू नियंत्रण क़ानून के प्रभावी क्रियान्वयन और तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों तक जागरूकता फैलाना है। कार्यक्रम में लीगल एण्ड डिफेंस के श्री गौरी शंकर सहाय ने बताया कि साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव द्वारा 7 अप्रैल 1988 से विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाने का फ़ैसला किया।31मई 1988 उद्देश्यअंतर्राष्ट्रीय धूम्रपान निषेध सप्ताह में, जो 25 मई से आरंभ होता है, धूम्रपान उद्योग, स्वास्थ्य के लक्ष्यों को व्यावहारिक होने की दिशा में रुकावट, धूम्रपान उद्योग के मुक़ाबले में धार्मिक मान्यताएं, धूम्रपान को रोकना सबकी ज़िम्मेदारी, धूम्रपान के विस्तार के मुक़ाबले में विधि पालिका, न्याय पालिका और कार्यपालिका की ज़िम्मेदारी और अंततः धूम्रपान की अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों को बंद किया जाये जैसे विषयों की समीक्षा की जाती है ताकि इस मार्ग से धूम्रपान के सेवन में कमी और आम जनमत के स्वास्थ्य में वृद्धि की दिशा में महत्त्वपूर्ण क़दम उठाया जा सके।अन्य जानकारीस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक़ तम्बाकू या सिगरेट का सेवन करने वालों को मुंह का कैंसर की होने की आशंका 50 गुना ज़्यादा होती है। तम्बाकू में 25 ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते है।इस दिन विभिन्न कार्यक्रम कर लोगों को तम्बाकू से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नुक़सान के बारे में बताया जाता है। इसका मक़सद तम्बाकू नियंत्रण क़ानून के प्रभावी क्रियान्वयन और तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों तक जागरूकता फैलाना है। कार्यक्रम में लीगल एंड डिफेंस काउंसिल के सभी सदस्य ने अपने-अपने विचार रखें। वहीं दूसरी ओर मकतपुर चौक में मजदूरों के बीच धूम्रपान निषेध कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मजदूरों को धूम्रपान से होने वाले बीमारियों के बारे में भी जानकारी दी गई है। कार्यक्रम को सफल बनाने में पी एल बी दिलीप कुमार, अशोक कुमार वर्मा सुनील कुमार , अनवारुल हक की महत्वपूर्ण भूमिका रही।