विकास और स्थिरता के बीच संतुलन होगी चुनौती – अमित रंजन तिवारी
सरकार द्वारा घोषित जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) सुधार वास्तव में एक दूरदर्शी कदम है, जो लाखों आम लोगों और व्यापारियों के लिए राहत का संदेश लेकर आया है। इस सुधार में कुछ महत्वपूर्ण फ़ायदे और साथ ही चुनौतियाँ भी हैं दोनों स्पष्ट रूप से दिखते हैं|
उपभोग भारत की विकास गाथा का सबसे मजबूत स्तंभ रहा है|
कम ब्याज दरें और जी एस टी मे कटौती से घरेलू खर्च मे तेजी आने की संभावना है, भले ही बाहरी ब्यापार मे थोड़ा तनाव बना रहे| उक्त बातें गढ़वा पॉलिटेक्निक के कंप्यूटर विभाग के विभागाध्यक्ष व विश्लेषक अमित रंजन तिवारी ने टैक्स सुधार पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुवे कहा है|
श्री तिवारी ने कहा है कि यह जी एस टी सुधार भारत की एक सरल, निष्पक्ष और अधिक समावेशी प्रणाली के निर्माण की यात्रा मे एक निर्णायक क्षण है|
एक सुव्यस्थित दो दर संरचना की ओर बढ़ते हुवे और प्रत्येक नागरिक के जीवन को प्रभावीत करने वाली वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित कर के नागरिको के जीवन और व्यापार को आसान बनाने की कोशिस की गई है|
ये उपाय ना केवल भारतीय परिवारों को तत्काल राहत प्रदान करेंगे वल्कि औटोमोबाईल, कृषि, स्वस्थ्य सेवा, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को भी मजबूत करेंगे|
रोज़मर्रा की वस्तुएँ जैसे पोषक दाने, पनीर, रोटी-पराठा, दवा, टूथपेस्ट, शैम्पू आदि पर टैक्स कम हुवे हैं इससे आम घरों का खर्चा कम होगा और जीवनशैली में सहजता आएगी ।
सरल और पारदर्शी प्रणाली के तहत चार टैक्स स्लैब को घटाकर केवल दो (5% और 18%) किए गए हैं—जिससे जीएसटी की संरचना अधिक सीधी और समझने में आसान होगी ।
वहीं व्यक्तिगत जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को अब पूर्णतः जीएसटी मुक्त रखा गया है, जिससे बीमा उत्पाद अधिक किफायती और व्यापक रूप से स्वीकार्य होंगे और अंतिम व्यक्ति तक पहुँच सकेंगे ।
छोटे वाहन (इलेक्ट्रिक व्हीकल्स सहित), टीवी, एसी, सीमेंट जैसी वस्तुओं पर कर घटाकर 18% किया गया है, जिससे त्योहारों के दौरान मांग को बढ़ावा मिलेगा| सीमेंट पर टैक्स कम होने से लोगो को अब निर्माण कार्य मे कम पैसे खर्च होंगे|
तंबाकू, सिगरेट, हाई-एंड कार और कार्बोनेटेड पेय जैसे ‘सिन गुड्स’ को अब नए 40% कर स्लैब में रखा गया है—जो स्वास्थ्य और पर्यावरण दृष्टिकोण से उचित कदम है ।
श्री तिवारी ने कहा की हालांकि सरकार को इस कर सुधार से करोड़ो का राजस्व गिरावट भी सहना पड़ सकता है
महँगे वस्त्रों पर कर वृद्धि होने से जिसमे ₹2,500 से अधिक कीमत के वस्त्र अब 12% से बढ़कर 18% कर के दायरे में आए हैं इस से उपभोक्ताओं और फैशन उद्योग पर असर पड़ सकता है ।
कर कटौती से अल्पकाल में खपत बढ़ेगी, लेकिन यह राजस्व और मुद्रास्फीति पर किस तरह लंबे समय में प्रभाव डालेगी, यह अभी अनिश्चित है—विशेषज्ञ इसे जोखिम के रूप में भी देख रहे हैं|
यह जीएसटी सुधार तत्काल और प्रत्यक्ष राहत देगा—चाहे वो घरेलू खरीद-फरोख्त हो, बीमा प्रीमियम हो या जीवन रक्षक दवाइयाँ हो। साथ ही, यह कर प्रणाली को अधिक सरल, समावेशी और प्रभावशाली बनाएगा। बावजूद इसके, राजस्व और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता पर इसके प्रभावों की निगरानी करना सरकार और नीति निर्माणकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।

