सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में विद्वत परिषद संगोष्ठी, एनईपी 2020 की पंचपदी शिक्षण पद्धति पर गहन चर्चा”
बरगंडा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में शनिवार को विद्वत परिषद संगोष्ठी का आयोजन किया गया।विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्राचार्य मुकेश कुमार शर्मा , उपाध्यक्ष आरती वर्मा एवं प्रधानाचार्य आनंद कमल ने दीप प्रज्वलन कर पुष्प अर्पित किया।
मौके पर विषय प्रवेश कराते हुए अजीत मिश्रा ने उपस्थित विद्वत जनों को एन ई पी 2020 में पंचपदी शिक्षण पद्धति का समावेश विषय पर प्रकाश डाला।आचार्य प्रदीप सिन्हा ने पंचपदी शिक्षण पद्धति को पीपीटी के माध्यम से विद्वत जनों को अवगत कराया।उपाध्यक्ष जयनंदन सिंह ने कहा कि शिक्षण कार्य में छात्र,अभिभावक एवं शिक्षक तीनों के सामंजस्य से ही छात्र का संपूर्ण विकास संभव है। शिक्षक को अपने कर्तव्य के प्रति वफादार होना चाहिए।बच्चों की भावनाओं को समझते हुए शिक्षा देना हमारा उद्देश्य होना चाहिए। डॉ पुष्पा सिन्हा ने कहा कि शिक्षक अपने छात्रों को बहुमुखी विकास हेतु शिक्षा दें। बच्चों की जिज्ञासा को शिक्षक समाधान करें।छात्र नकारात्मक सोच का त्याग कर सकारात्मक सोच के साथ शिक्षा ग्रहण का कार्य करें।ज्ञान के साथ-साथ बच्चों में काबिलियत का भी होना आवश्यक है।
सचिव सुशील ओझा ने एन ई पी2020 में पंचपदी शिक्षण पद्धति का समावेश पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा के पांच चरण होते हैं जिसके अंतर्गत बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए।आज शिक्षक की नहीं शिक्षकत्व की जरूरत है।शिक्षकों को अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक करना चाहिए।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मुकेश शर्मा ने कहा कि शिक्षण कार्य में शिक्षक के साथ-साथ अभिभावक की जिम्मेवारी भी अहम् है क्योंकि बच्चों का अधिकांश समय घर पर बीतता है और घर का जैसा माहौल होगा बच्चे वैसे ही तैयार होंगे।
मौके पर लाल शंकर पाठक, अवधेश पाठक,नागेंद्र मिश्रा ने संगोष्ठी पर अपने-अपने विचार को रखा।संगोष्ठी में प्रमुख अशोक कुमार ओझा, राजेंद्र लाल बरनवाल,शुभेंदु चंदन एवं डॉ ब्रजेश बरनवाल उपस्थित हुए।

