शहर की गलियों में शराब चौपाल आबकारी विभाग को नहीं दिख रहा ‘दारू दरबार
दतिया। नगर में शराबबंदी सिर्फ कागजों में है। हकीकत में हर गली, हर मोहल्ला और हर चौराहा शराब के ठेकों से भरा पड़ा है, वो भी बिना सरकारी अनुमति, बिना टैक्स और बिना किसी डर के।
कच्ची शराब से मौतें, बीमारियां और सामाजिक बर्बादी
होम डिलीवरी का हाईटेक नेटवर्क
धार्मिक स्थल के पीछे शराब की थैलियां
स्कूलों के पास भी नशे का धंधा
सरकार को करोड़ों का टैक्स नुकसान
जब अवैध शराब बिकती है, तो उसका सारा पैसा माफियाओं की जेब में जाता है। सरकार को कोई टैक्स नहीं मिलता, और नियमों का सरासर उल्लंघन होता है।
जनता का तंज, अगर यही शराबबंदी है, तो ठेके फिर से खोल दो, कम से कम टैक्स तो मिलेगा।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल, ना छापे, ना गिरफ्तारी, ना कोई अभियान?
आबकारी विभाग हर सवाल पर “मौन व्रत”
क्या वाकई अंधे हैं अफसर, या जेब में बंद हैं आंखें?
कच्ची शराब, मौत का सौदा
कई मोहल्लों में नकली और जहरीली शराब बनाई जा रही है।
गटर के पानी से
पुराने ड्रमों में
बिना किसी निगरानी के
पीड़ितों के परिजन बोले,
“कच्ची पीने के बाद उल्टियां शुरू हुईं, फिर हॉस्पिटल ले गए, लेकिन बचा नहीं…”
धार्मिक नगरी में ‘नशे का तांडव’
मंदिरों के शहर दतिया में अब भगवान के साथ शराब माफिया का नाम भी लिया जा रहा है।
लाइट नहीं, पानी नहीं लेकिन शराब 24 घंटे
मंदिरों के पास थैलियों में बिक रही देसी शराब
स्कूल जाते बच्चों को दिखती है शराब की कतार
