रेवारातु में ग्रामीणों का ऐतिहासिक संकल्प: ‘जल-जंगल-जमीन’ बचाने का आंदोलन, माफिया के फर्जी दावों के खिलाफ एकजुटता
रेवारातु (सतबरवा प्रखंड), 22 सितंबर 2025: हर जोर-जुल्म के ताकझोंक में संघर्ष हमारा नारा है—इसे मंजिल तक पहुंचाएंगे! इस जोशीले नारे के साथ आज रेवारातु पंचायत के रेवारातु गांव में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। स्थानीय नेता शिवराज सिंह की अध्यक्षता में ग्रामीणों ने लकड़ही पहाड़, सतनी पहाड़ और कोटया पहाड़ को माफिया के कब्जे से बचाने का दृढ़ संकल्प लिया। यह आंदोलन न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि ग्रामीणों की अस्मिता और संसाधनों की रक्षा का प्रतीक भी बन गया है।
बैठक में सैकड़ों ग्रामीणों ने हिस्सा लिया, जिनमें महिलाएं और पुरुषों की भारी संख्या थी। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि जल, जंगल और जमीन हमारी धरोहर हैं—इन्हें बचाना ही पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। कुछ बिचौलियों और माफिया तत्वों ने फर्जी तरीके से आम सभा आयोजित कर इन पहाड़ियों पर कब्जे की कोशिश की है, लेकिन ग्रामीणों ने साफ लहजे में चेतावनी दी: “जान देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे!”
आंदोलन का संदेश: पर्यावरण मां के समान, अस्मिता की रक्षा अनिवार्य
सामाजिक कार्यकर्ता आशीष कुमार सिन्हा ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “हम सभी जानते हैं कि पर्यावरण मां के समान है। इन पहाड़ों की अस्मिता को बचाना हमारा कर्तव्य है, चाहे कुछ भी हो जाए। कुछ सामंती ताकतें फिर से हमें गुलाम बनाना चाहती हैं, लेकिन वे कभी सफल नहीं हो सकतीं। आप सभी एकजुट होकर आंदोलन जारी रखें। हमें इस लड़ाई को तेज करना है—जल, जंगल, जमीन को बचाना ही हमारा लक्ष्य है।”
सिंहा ने ग्रामीणों से अपील की कि वे फर्जी दावों के खिलाफ एकजुट रहें और स्थानीय प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग करें। यह आंदोलन झारखंड और बिहार के आदिवासी-ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे ‘जल-जंगल-जमीन बचाओ’ अभियानों से प्रेरित लगता है, जहां फर्जी जमाबंदी और वन माफिया के खिलाफ लगातार संघर्ष हो रहा है।
प्रमुख उपस्थित सदस्य: एकजुटता की मिसाल
बैठक में प्रमुख पति युगल किशोर राम, युवा नेता प्रवेश यादव, संदीप यादव, रवींद्र कुमार, रघु साव, अनतु सिंह, राम प्यारी सिंह, भीम सिंह, वीरेंद्र सिंह, योगेंद्र सिंह, गोरा दासी, सोनमतीया देवी, सबीता देवी, शांति देवी, कलावती देवी, गुजरी दासी, कमला कुंवर, सुनीता देवी, बुधनी देवी, ललिता देवी, शकुंतला कुंवर, नैना देवी, कमला देवी, तारा देवी, मंगली कुंवर, ममता कुमारी, शीला देवी, सोनी देवी, कबुतरी जगनी देवी, कमोदा देवी, जगनी देवी, आशा देवी, दीनेश सिंह, गिरेंद्र सिंह, गरीबा मोची, जुगेश्वर मोची, सरदारी मोची, सुबेदार मोची, अर्जुन सिंह, मनोहर सिंह, दिलबाग सिंह, महर्षि सिंह सहित सैकड़ों महिलाएं और पुरुष मौजूद थे।
ये सभी ने संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर किए और आंदोलन को तेज करने का वादा किया। बैठक शांतिपूर्ण रही, लेकिन ग्रामीणों का उत्साह देखते ही बन था।
आगे की राह: प्रशासन से मांग, न्याय की उम्मीद
ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि फर्जी आम सभाओं की जांच हो और इन पहाड़ियों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। यह आंदोलन न केवल रेवारातु तक सीमित रहेगा, बल्कि पूरे सतबरवा प्रखंड में फैलेगा। पर्यावरणविदों का मानना है कि ऐसे स्थानीय प्रयास ही जलवायु परिवर्तन और वन विनाश के खिलाफ मजबूत कवच साबित हो सकते हैं।

