राज्यपाल के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट,तुषार मेहता को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया

पंजाब सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्यपालों को मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आने से पहले ही विधेयकों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
दरअसल पंजाब सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें पंजाब सरकार ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल विधेयकों को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि राज्यपाल ने उनके पास भेजे गए विधेयकों पर कार्रवाई की है और पंजाब सरकार ने याचिका बेवजह यह याचिका दायर की है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्यपालों को मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आने से पहले कार्रवाई करनी चाहिए। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता है तो राज्यपाल कार्रवाई करते हैं, यह बंद होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राज्यपालों को यह पता होना चाहिए कि वह जनता के चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल कुछ दिनों में स्टेटस रिपोर्ट देंगे। अब कोर्ट 10 नवंबर को फिर से इस मामले पर सुनवाई करेगी। बता दें कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के बीच तनातनी चल रही है। एक नवंबर को राज्यपाल ने अपने पास लंबित तीन विधेयकों में से दो को मंजूरी दे दी। इनमें पंजाब गुड्स एंड सर्विस टैक्स (संशोधन), 2023 और इंडियन स्टॉम्प (संशोधन) विधेयक 2023 शामिल है। पंजाब सरकार ने याचिका में विस से पारित विधेयकों को मंजूरी के लिए राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को निर्देश देने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की असांविधानिक निष्क्रियता से पूरा प्रशासन ठप पड़ गया है। सरकार ने दलील दी कि राज्यपाल अनिश्चितकाल के लिए विस से पारित विधेयकों को रोक नहीं सकते हैं।
क्या है पंजाब में बजट सत्र को लेकर विवाद?
पंजाब सरकार ने अतिरिक्त महाधिवक्ता शादान फरासत के माध्यम से भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में पंजाब के राज्यपाल के प्रधान सचिव को पहले प्रतिवादी के रूप में रखा गया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सरकार द्वारा दी गई सहायता और सलाह के अनुसार राज्यपाल को विधानसभा को बुलाना पड़ता है।
पंजाब सरकार के कैबिनेट ने प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल से विधानसभा का बजट सत्र तीन मार्च से बुलाने की अनुमति मांगी थी। हालांकि, राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने इस बजट सत्र को बुलाने से इनकार कर दिया था। साथ ही एक पत्र लिखकर कहा कि मुख्यमंत्री सीएम के ट्वीट और बयान काफी अपमानजनक और असंवैधानिक थे। इन ट्वीट पर कानूनी सलाह ले रहे हैं। इसके बाद बजट सत्र को बुलाने पर विचार करेंगे।
गौरतलब है कि 13 फरवरी को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर, सिंगापुर में ट्रेनिंग के लिए भेजे गए प्रिंसिपलों की चयन प्रक्रिया व खर्च समेत चार अन्य मुद्दों पर जानकारी तलब की थी। इसके जवाब में, मुख्यमंत्री ने 13 फरवरी को ही ट्वीट कर राज्यपाल की नियुक्ति पर सवाल उठाने के साथ-साथ साफ कर दिया कि राज्यपाल द्वारा उठाए सभी मामले राज्य का विषय हैं। मुख्यमंत्री ने लिखा था कि उनकी सरकार 3 करोड़ पंजाबियों के प्रति जवाबदेय है न कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किसी राज्यपाल के प्रति। इसके बाद से मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच उक्त पूरे मामले ने विवाद का रूप ले लिया है।