पलामू बार एसोसिएशन घोर ब्राह्म्णवादियों का अड्डा : दिव्या भगत
पलामू बार एसोसिएशन घोर ब्राह्म्णवादियों का अड्डा : दिव्या भगत
इंकलाबी नौजवान सभा राष्ट्रीय परिषद सदस्य दिव्या भगत ने बयान जारी कर कहा कि पलामू बार एसोसिएशन घोर जातिवादियों का अड्डा है। जहां जातिय वर्चस्व स्थापित करने के लिए पिछड़ों दलितों के साथ बेअदबी होती है, उनके साथ गाली गलौज किया जाता है, उनके साथ मार पीट होती है यहां तक कि दलित–पिछड़े वकीलों को बार से भी निकल दिया जाता है। मेरे साथ मारपीट कर मुझ पर ही आरोप ये इसीलिए लगा रहे हैं, क्योंकि इन्हें इस बात से दुख है कि एक दलित और उस पर भी एक महिला, आखिर उनसे सवाल कैसे कर सकती है?
पलामू बार एसोसिएशन के इस रवैए के बारे में खैर मुझे वर्षों से मालूम है, मेरे स्वर्गीय पिता रामलगन भगत एससी/एसटी स्पेशल पीपी थें पर चूंकि वो दलित थें, और न्याय के लिए सम्मान के लिए संघर्ष करते थें। उन्हें पलामू बार से जबरदस्ती निकाला गया और जबकि झारखंड बार एसोसिएशन में वो शामिल रहें। और आज तक इस पलामू बार ने मरणोपरांत मिलने वाली राशि तक भी मेरे परिवार को मिलने नहीं दिया।
पिछले वर्षों अम्बेडकर जयंती मनाने पर एक दलित वकील को पलामू बार से निकाल दिया गया। इन्हें कष्ट होता है कि भारतीय संविधान और कानून के निर्माता एक दलित बाबासाहेब अम्बेडकर हैं।
पिछले पलामू बार एसोसिएशन के चुनाव में जब अध्यक्ष और सचिव, दोनों पदों पर पिछड़ी जातियों के उम्मीदवार वकील जीतें। इसके बाद इस पूरे जातिवादी गिरोह ने खुलेआम गुंडागर्दी कर, ब्राह्मणवादी वर्चस्व को स्थापित करने के लिए क्या क्या नहीं किया और अंततः चुनाव को ही खारिज करवा दिया।
अभी पिछले दिनों एक पिछड़े जाति के वकील के सीट पर जाकर इन जातिवादी वकीलों ने उनके साथ मार पीट किया, फिर उनके मित्र वकील (जो हमारे वकील संगठन AILAJ से जुड़े हैं) के सीट पर जाकर गाली गलौज भी किया। बार एसोसिएशन ने मारपीट करने वाले वकील पर कोई कारवाई नहीं किया, पर इसी बाबत जब मैने उनसे सवाल पूछने की कोशिश की तो मेरे साथ भी दुर्व्यवहार किया, मार पीट किया।
ये वकील हैं? इन्हें संविधान की, रूल ऑफ लॉ की समझ है? ये मार पीट करते हैं, कानून हाथ में लेते हैं। ये मनुवादी हैं जो समझते हैं कि, दलितों का महिलाओं का पिछड़ों का स्थान उनके पैर के नीचे है, और उन्हें न्याय पाने का कोई हक नहीं है।
तो इंकलाबी नौजवान सभा की ओर से मैं दिव्या भगत इन्हें बताना चाहती हूं कि इन जातिवादी “गुंडों”(इन्हें वकील कह कर बाबासाहेब का अपमान नहीं करना चाहती) से मैं डरने वाली नहीं हूं। माता सावित्री बाई फुले की बेटी हूं इन जातिवादियों से लडूंगी भी और जीतूंगी भी।
