पंचयाती राज में संसोधन कि जरुरत-विश्व दिव्यांमान दुबे (शिक्षक) (ग्रामीण विकास)
पंचयाती राज में संसोधन कि जरुरत-विश्व दिव्यांमान दुबे (शिक्षक) (ग्रामीण विकास)
भारत राज्यों का संघ है, और राज्यों में पनपते फूलते पंचयाती राज एक छोटी सी कड़ी है. भारत में सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था का गठन 1959 में हुआ और इसका उदेश्य था ग्रामीण इलाकों में लोकतंत्र को बढ़ावा देना. महात्मा गाँधी के जन्मोत्सव से शुरू हुई ये व्यवस्था एक स्वर्णिम सपने को बुनना और खुले आँखों से सपना देखना जैसा था, भारत गाँव का देश है और यहां कि आधी से अधिक आबादी गाँव में ही बसते है और यहां के अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर है इसलिए इसे देश का रीढ़ भी कहा जाता है,2011 कि जनगणना के अनुसार 68.84 प्रतिशत लोग आज भी गाँव में निवास करते हैं लेकिन आश्चर्यजनक बात यह हैं इसमें लगभग 36% लोग पलायन कर रहें हैं अगर झारखण्ड कि बात करें तो झारखंड में दलित व आदिवासी आबादी का 35 प्रतिशत जनसंख्या पलायन को मजबूर हैं. इनमें 55 प्रतिशत महिलाएं, 30 प्रतिशत पुरूष और 15 प्रतिशत बच्चे शामिल हैं. इनमें सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर व शेष फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी व दलालों के द्वारा राज्य से बाहर ले जाये जा रहे हैं.लेकिन पंचायती राज व्यवस्था में कृषि और रोजगार, गाँव के विकाश कि ओर लें जाने वाले रास्ते पर ध्यान नहीं है, यहां आज भी सरकार के द्वारा बनी बनायीं योजनाओं का पालन किया जाता है जबकि पंचायती राज में साफ उल्लेखित है कि ग्राम स्तर से ग्राम सभा द्वारा बनाकर लाय गए योजनाओं को आगे बढ़ाना हैं, उस क्षेत्र के मुलभुत आवश्यकता वाले योजनाओं को बनाकर आगे भेजना है लेकिन आज तक कोई योजना ग्राम स्तर से पारित कर नहीं भेजा जा रहा है जो एक चिंता का विषय है, और सोचनीय भी है? पंचयाती राज में अनेक समितियां बनी आयी और गयी लेकिन अंततः 1992 में,73 वां सविंधान संसोधन ने ग्राम स्वराज्य के संवेधानिक जड़ रख दिया.उस समय के भारत और वर्तमान समय के भारत में आशमा जमीं का अंतर हैं लेकिन आज भी पंचयायती राज व्यवस्था में वही झलक दिख रही है, अब वो समय आ गया है जो अलग अलग राज्य के अनुरूप बने पंचायती राज में संसोधन कि जरूत है.झारखण्ड राज्य बनने के बाद झारखण्ड में बने झारखण्ड पंचयती राज अधनियम 2001 इसी कड़ी में सम्मलित है, इस अधिनियम में अब कुछ संसोधन कि जरूरत है जिसपर ध्यान आकृस्ट करने कि जरूरत है,झारखण्ड पंचायती राज अधिनियम 2001 में बहुत कुछ कही गयी है लेकिन कुछ बाते संक्षेप में कही गयी है, इसी के तहत चुने गए वार्ड सदस्यों भी अपने आप को असहज मशहूस कर रहें है,और इसका जीता जगता उदाहरण यह है कि वार्ड सदस्यों के चुनाव में लोग रूचि नहीं लें रहें और वहां सीट खाली हों जा रहा है या अधिकांश सीट निर्विरोध हों जा रहा है ऐसा ही झलक पलामू जिला के पाटन प्रखंड के कसवाखंड पंचायत के वार्ड 14 है.दुर्भाग्य कि बात यह है झारखण्ड में कई वार्ड सदस्यों का देहांत हों गया है अब तक उनके आश्रितों न सरकार ध्यान दे रहीं हैं न अन्य, इसी कारण है कि वार्ड सदस्यों हड़ताल पर जाने को मजबूर है. स्तिथि यह है कि वार्ड सदस्यों कार्यकारिणी बैठक में महत्व मिल पा रहा है और नहीं अन्य योजनाओं में भागीदारी सुनिश्चित हों पा रही है, वर्तमान परिपेक्षय यह है कि पंचायत में जो समितिया बनी है वो भी अपना कार्य निर्वाहन सही ढंग से नहीं कर पा रहें है और नहीं उनको उसके बारे में पूर्णरूपेण जानकारी होती है जिस कारण आज पांचयतों का हाल बेहाल है,झारखण्ड पंचयती राज अधिनियम के धारा 7 में में किसी बैठक के लिए गणपूर्ति ग्राम सभा के कुल सदस्यों का 1/10वां भाग होगी, जिसमें से कम से कम 1/3 महिलाएं होंगी; परंतु अनुसूचित क्षेत्र में बैठक के लिए गणपूर्ति ग्राम सभा के कुल सदस्यों का 1/3 भाग होगी, जिसमें से कम से कम 1/3 महिलाएं होंगी।इस में संसोधन कि जरूरत है इसे बढ़ाकर 1/2 कम से कम करना चाहिए और बैठक में सभी सदस्यों कि उपस्तिथि अनिवार्य करनी चाहिए ताकि कोई भी वार्ड सदस्यों अपने को उपेक्षित महसूस नहीं कर सके.धारा 10 कि 2 (d, e) में मजबूती प्रदान करने के लिए स्थायी कमिटी कि शक्ति व पंचायत के कोष बढ़ाने के लिए कुछ शक्ति जोड़ने कि जरूरत है ताकि पंचायत का विकास सही ढंग से हों सके.ऐसे कई धाराएं है जो अब संसोधन का बाट जो रहें है.पंचयती राज में एकल भुगतान सिस्टम भी एक बहुत बड़ी मुद्दे हों जाते है इसे संसोधन कर मुखिया और वार्ड सदस्यों के साथ जॉइंट खाता खोलना चाहिए ताकि पूर्णरूपेण सब वार्ड क्षेत्र में सामनता के साथ विकाश हों सके.इतना ही नहीं पंचयात स्तर से होकर ही गावं/वार्ड स्तर पर ही केंद्र और राज्य सरकार कि मुलभुत योजनाओं पहुँचती है.इस कड़ी में ग्रामीण विकास के तहत मनरेगा में चाहे मुलभुत योजनाए हों चाहे पी डी एस हों.मनरेगा में भी 100 दिन कि रोजगार गारंटी को बढ़ाकर अब 150 दिन करनी चाहिए इससे लोग पलायन से बच सकते है.मनरेगा के सभी योजनाओं में वार्ड सदस्यों का रोल को बढ़ाना चाहिए ताकि आए दिन मनरेगा में भरस्टाचार का खबर मिलती है इस पर कुछ रोक लगाया जा सकता है.पंचयती राज में पंचायत समिति को अपना योगदान समझनी चाहिए पंचायत का मामला पंचायत में ख़त्म होना चाहिए था लेकिन ये मामला अब पंचायत न होकर सीधे थाने पहुँच जाती है जो पंचायती राज को कमजोर करती जा रही है इसे सख्त से पालन होना चाहिए. इस कड़ी में सबको अपनी अपनी भगीदारी सुनिश्चित करनी पड़ेगी तभी पंचयाती राज का गावं में सही ढंग से इम्प्लीमेंट का स्वर्णिम सपना देखा जा सकता हैं इसमें राज्य और केंद्र सरकार आपस में समन्वय बनाकर चले.जाऐसे स्तिथि में कहा जा सकता है कि पंचायती राज को मजबूती प्रदान करने के लिए इसमें संसोधन कि जरूत है.
