पैत्रिक जमीन का सुधार 8 वर्षों से लंबित, अंचलाधिकारी पर रिश्वत मांगने का आरोप
पैत्रिक जमीन का सुधार 8 वर्षों से लंबित, अंचलाधिकारी पर रिश्वत मांगने का आरोप
गढ़वा जिले के महुपी गांव निवासी अनिल कुमार चौबे पिछले आठ वर्षों से अपनी पैत्रिक जमीन का रिकॉर्ड पंजी-II में संशोधित करवाने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहा है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस परिवार की जमीन का मालबंदी वर्ष 1956-57 में की गई थी, जिसकी पूरी जानकारी राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। जमीन की कुल माप 3 एकड़ 43 डिसमिल है, जो विभिन्न खाता और प्लॉट संख्याओं में विभाजित है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जमीन के रिकॉर्ड में सुधार के लिए परिवार ने दिनांक 03.01.2017 को अंचल कार्यालय और 17.03.2025 को उपायुक्त कार्यालय, गढ़वा में सभी आवश्यक दस्तावेज़ जमा किए। दोनों कार्यालयों से दस्तावेज़ प्राप्ति की रसीदें भी मौजूद हैं।
फिर भी पंजी-II में कोई सुधार नहीं किया गया। सबसे गंभीर आरोप यह है कि दिनांक 11.04.2025 को जब आवेदक पुनः अंचल कार्यालय गया और अंचलाधिकारी सफी आलम से मुलाकात की, तो उन्होंने कथित रूप से 20,000 रुपये की मांग की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि पैसे नहीं दिए गए, तो चाहे जहां जाना है जाओ, सुधार नहीं होगा।
इस पूरे मामले से यह साफ है कि सरकारी तंत्र की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से आम नागरिक अपने ही जमीन के हक के लिए वर्षों से भटक रहा है। पीड़ित परिवार ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द जमीन के रिकॉर्ड में सुधार करवाया जाए और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
