मेदिनीनगर कारा में कैदियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौतें दुर्भाग्यपूर्ण : दिव्या भगत
मेदिनीनगर कारा में कैदियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौतें दुर्भाग्यपूर्ण : दिव्या भगत
मेदिनीनगर केंद्रीय कारा में दो दिन पहले एक कैदी शब्बीर अंसारी की संदेहास्पद स्थिति में मौत हुई है। प्रशासन इसे आत्महत्या का मामला बता रही है वहीं परिजन इससे इनकार कर रहे हैं।
पिछले वर्ष भी मेदिनीनगर केंद्रीय कारा में ज्यूडिशियल कस्टडी में बंद दो कैदियों की मौत हो गई थी, जिनके शरीर पर मार पीट के निशान भी थें। एक बंदी का अभी तक मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी नहीं हो सका है क्योंकि जेल प्रशासन कह रही है मौत उनके यहां नहीं हुआ है, सदर अस्पताल में हुआ है और सदर अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि हमारे पास बंदी को मृत अवस्था में ही लाया गया था। मृतक के परिजनों को न्याय तो बहुत दूर की बात है, मृत्यु का प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पाया है।
मेदिनीनगर केंद्रीय कारा में इस तरीके की लगातार मौतें क्यों हो रही है इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। साथ ही मेदिनीनगर केंद्रीय कारा में, कैदियों के रहने की स्थिति, उन्हें मिल रही सुविधाओं, उनकी मानसिक स्थिति को लेकर बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो, इसके लिए सामाजिक लोगों की एक कमिटी बनाई जानी चाहिए।
मेदिनीनगर कारा में अधिकतर विचाराधीन कैदी, समाज के सबसे पिछड़े तबकों से आते हैं। कारा बतौर सुधारगृह के बजाए, विचाराधीन कैदियों के लिए भी, जिनके ऊपर सजा तय भी नहीं हुआ है, यातना गृह के बतौर कार्य करती है। बंदी अमानवीय स्थिति में जेलों में रहते हैं, उनकी आवाज वहां से बाहर नहीं निकल पाती साथ ही वहां जो अखबारें भी जाती हैं, उन अखबारों में कैदियों से जुड़े समाचार के हिस्से को भी काट दिया जाता है।
कारा में मौत होने के बाद, बंदी अत्यधिक डर के माहौल में जिंदगी बिताने को मजबूर हैं, की कहीं अगला नंबर उनका ना आ जाए।
इंकलाबी नौजवान सभा मांग करती है कि, मेदिनीनगर केंद्रीय कारा में हुई सभी मौतों की न्यायाधीश के नेतृत्व में उच्च स्तरीय जांच हो। जांचोपरांत दोषी अधिकारियों पर कारवाई हो। सभी कैदियों को जेल मैनुअल के अनुसार सुविधाएं मिलने की गारंटी हो। विचाराधीन कैदियों के साथ विशेषकर मानवीय व्यवहार हो, उनकी सजा तय नहीं हुई है ऐसे में उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार न ही कानूनसंगत है और नाही नैतिक।
