मानव श्रृंखला बना हसदेव अरण्य के समर्थन में केन्द्रीय जन संघर्ष समिति ने किया प्रदर्शन

मानव श्रृंखला बना हसदेव अरण्य के समर्थन में केन्द्रीय जन संघर्ष समिति ने किया प्रदर्शन
महुआडांड़ प्रतिनिधि।हसदेव अरण्य में पेड़ों के कटाई के खिलाफ वहाँ के आंदोलन कारियों के समर्थन में केन्द्रीय जन संघर्ष समिति, लातेहार-गुमला, ने 24 जनवरी को 12 बजे दोपहर से 2 बजे दोपहर तक मानवश्रृंखला बनाकर हसदेव के समर्थन में “हसदेव बचाओ” , “SAVE HASDEV” की तख्ती लेकर खड़े हुए।नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज व पलामू व्याघ्र परियोजना के प्रभावित में महुआडाँड़ से डालटेनगंज मुख्य मार्ग में, शास्त्री चौक, बोहटा, बारेसाँड़, और गारु ,महुआडाँड़ –रांची मुख्यपथ में कुरुंद, चोरमुंडा और पकरीपाठ , बनारी में, महुआडाँड़-गुमला पथ में रजावल, नवाडीह, चैनपुर और गुमला में सिसई रोड में मानवश्रृंखला बनाकर हसदेव बचाओ आंदोलन का समर्थन किया।
ज्ञात हो कि छतीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित हसदेव अरण्य भारत के सबसे बड़े वन क्षेत्रों में से एक है, हसदेव जंगल 1,70,000 (एक लाख सत्तर हजार) हेक्टेयर में फैला हुआ है। यहाँ अनेक प्रकार के पेड़-पौधे, जानवर और पक्षी पाए जाते हैं। यह जंगल कई दुर्लभऔर लुप्त होती पशु-पक्षियों, एवं वनस्पतियों को अपने गोद में शरण दिए हुए है। इसी जंगल में हसदेव नदी बहती है जिसे छतीसगड़ की जीवन रेखा भी कहा जाता है। इसी हसदेव नदी में मिनीमाता बाँगो बांध का निर्माण किया गया है।हसदेव अरण्य में कई आदिवासी समुदाय निवास करती है ।जो यहाँ के पारंपरिक निवासी हैं। जिन्होंने अभी तक इस जंगल के वनस्पति एवं पशु पक्षियों के साथ सहअस्तित्व का जीवन जीते हुए इन्हें संरक्षित रखा है।छतीसगढ़ एवं केंद्र सरकार की मिली भगत से कोयला खनन के नाम पर हसदेव आरण्य में लगातार पेड़ों की कटाई की जा रही है। जिसका वहाँ के आदिवासी व छतीसगढ़ के लोगों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है। लेकिन सरकार द्वारा पेड़ों की कटाई नहीं रोकी जा रही। हसदेव अरण्य केवल छतीसगढ़ ही नहीं पूरे भारत देश के लिए पर्यावरण दृष्टि से महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। आज के जलवायु परिवर्तन के इस दौर में हसदेव अरण्य का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य भी है। मौके पर जेरोम जेराल्ड कुजूर , सचिव , अनिल मनोहर, सदस्य केन्द्रीय जन संघर्ष समिति, लातेहार-गुमला के साथ कई अन्य लोग मौजूद थे।