मां मथुरासिनी के पूजनोत्सव पर निकली भव्य शोभायात्रा पर लोगो ने की पुष्पवर्षा — निर्भय शाहाबादी

मां मथुरासिनी के पूजनोत्सव पर निकली भव्य शोभायात्रा पर पुष्पवर्षा कर अभिनंदन किया:- निर्भय शाहाबादी
चंदन पांडे,गिरिडीह
आज गिरिडीह के माहुरी समाज के कुल देवी माँ मथुरासिनी के पूजनोत्सव पर माहुरी छात्रावास,भण्डारीडीह से एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई,जिसमे समाज के हज़ारों महिला,पुरूष,बच्चों के साथ साथ समाज के गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया।यह शोभायात्रा माहुरी छात्रावास से निकल कर टॉवर चौक,कालीबाड़ी,शिवमुहल्ला, गद्दी मुहल्ला से मकतपुर होते हुए पुनः माहुरी् छात्रावास में समाप्त हुई।इस शोभायात्रा में महिलाएं अपने हाथों में माँ मथुरासिनी के निशान लिए हुए जयकारों के साथ भ्रमण किया।इस अवसर पर निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी के द्वारा रानी लक्ष्मीबाई स्कूल, मकतपुर के पास शोभायात्रा में शामिल लोगों पर पुष्पवर्षा की,साथ ही शीतल पेयजल भी लोगो के बीच वितरण किया गया।इस पुष्पवर्षा कार्यक्रम में दीपक स्वर्णकार,बीरेंद्र वर्मा,कन्हैया ओझा,अशोक केशरी,अजित राम,सिंकू सिन्हा,नीलू सिन्हा,उत्तम लाला,गोबिंद तुरी,मनोज संघीय,प्रकाश दास,सुरेश सिन्हा,दीपक शर्मा,आनंद पासवान सहित दर्जनों कार्यकर्ता उपष्ठित थे।
इस शोभायात्रा में शामिल लोगों को बधाई देते हुए निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी ने कहा,यह माहुरी समाज की यह परंपरा सैकड़ो वर्षो से कायम है, इनका इतिहास भी बहुत कठिनाई से भरा है, कालांतर में मुगल आक्रांताओं का आतंक जब हमारे अखण्ड भारत पर शुरू हुआ और जबरन धर्म परिवर्तन कराने लगे,,उस प्रलयकारी समय मे भी तब यह समाज झुका नही और न ही कमजोर हुआ, उन्होंने अपने सनातन धर्म की रक्षा के लिए विभिन्न प्रान्तों में जा बसे,परंतु सनातन धर्म की रक्षा के लिए उसके आगे झुकना स्वीकार नही किया,और अपने सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार का कार्य जारी रखा।यह समाज के लोग बहुत ही मेहनती और कर्मठ है, आज उसी मेहनत के बलबूते पर अपनी पहचान एक सफल व्यवसायी वर्ग के रूप जाना जाता है।हमारा गिरिडीह और इसके आसपास के जिलों में यह समाज के बहुतायत लोग बसते है।इन सभी क्षेत्रों के विकास में इनका अभूतपूर्व योगदान रहता है।मैं माँ मथुरासिनी माता से यह आशीर्वाद मांगता हूं कि आपकी असीम कृपा हम सभी पर बनी रहे,और हमारा सनातन धर्म पुनः एक फिर से विश्व के पटल पर एक वट वृक्ष की तरह अपनी परंपरा की जड़े को मजबूत कर सके।