लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है’, महुआ मित्रा के निष्कासन:- ममता बनर्जी

लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है’, महुआ मित्रा के निष्कासन:- ममता बनर्जी
कैश फॉर क्वेरी केस में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई। लोकसभा स्पीकर के इस फैसले पर अब टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया सामने आई है। ममता बनर्जी ने कहा कि मैं आपको बता दूं कि महुआ को परिस्थितियों का शिकार बनाया गया है। मैं इसकी कड़ी निंदा करती हूं। ममता बनर्जी ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। ममता बनर्जी ने कहा कि हमारी पार्टी इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेगी। बता दें कि कैश फॉर क्वेरी केस में एथिक्स कमिटी ने आज अपनी रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट पर सदन में सुनवाई हुई। विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमिटी ने महुआ मोइत्रा की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने का आरोप था।
निशिकांत दुबे ने उठाया था मामला
बता दें कि झारखंड के गोड्डा से बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने सबसे पहले सदन में यह मामला उठाया था। निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को लिखित शिकायत देकर यह आरोप लगाया था कि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने रियल एस्टेट कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे और तोहफा लेकर उनके हितों को फायदा पहुंचाने वाले सवाल पूछे। निशिकांत दुबे ने यह भी कहा कि महुआ मोइत्रा ने सदन में ऐसे सवाल पूछे जिससे अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके। महुआ मोइत्रा पर लोकसभा सदस्यों को दिए जाने वाले लॉगइन और पासवर्ड भी दर्शन हीरानंदानी के साथ साझा करने के आरोप लगे थे। महुआ मोइत्रा ने भी इसे माना था। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने सवाल पूछने के लिए किसी से कोई तोहफा या पैसा लिया है।
टीएमसी सांसदों ने पक्षपात का आरोप लगाया
शुक्रवार को कैश फॉर क्वेरी मामले में एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान टीएमसी सांसदों ने आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा को सदन में अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त मौका नहीं दिया गया। वहीं, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि किसी सदस्य को क्या सजा दी जाए, यह एथिक्स कमिटी कैसे तय कर सकती है। तब, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि मैं जज या कोर्ट नहीं हूं। मैंने वही फैसला सुनाया जो लोकसभा की गरिमा और मर्यादा के लिए जरूरी था।
इस पूरे मामले में लोकसभा की सदस्यता गंवाने वाली महुआ मोइत्रा ने कहा कि बिना सबूतों के मुझे सजा सुनाई गई है।