जंगली हाथी ने बुजुर्ग को कुचल कर मार डाला, शव के साथ ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग करने लगे।

जंगली हाथी ने बुजुर्ग को कुचल कर मार डाला, शव के साथ ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग करने लगे।
धुरकी प्रतिनिधि।। धुरकी थाना क्षेत्र अंतर्गत कदवा, उर्फ लिखनी धौरा गांव निवासी 52 वर्षीय
सुकराज कोरवा की मौत जंगली हाथी की चपेट में आने से हो गई। घटना सोमवार की सुबह 9 बजे की है, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सुकराज कोरवा प्रतिदिनचर्य के अनुसार वह अपने साथी के साथ कदवा उर्फ लिखनी धौरा गांव के जंगल डगडरवा नामक स्थान में बकरी चराने गया था वहीं बकरी लेकर जंगल में घुसा तभी अचानक जंगल में विचरण कर रहे जंगली हाथी ने चरवाहे सुकराज कोरवा को अपनी चपेट में ले लिया और वही पटक कर मार डाला साथ ही उसके शव को छत विक्षत कर दिया। घटना की खबर गांव व टोले में आग की तरह फैल गई। मृतक के शव के साथ कदवा उर्फ लिखनी धौरा गांव के मार्ग को जाम कर उचित मुआवेज की मांग करने लगे जाम में प्रखंड प्रमुख शांति देवी ग्रामीणों के साथ थे, साथ ही सूचना मिलते ही थाना प्रभारी उपेंद्र कुमार एवं वन विभाग के रेंजर प्रमोद यादव फॉरेस्टर प्रमोद कुमार अपने सदबल के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर घटना की पूर्ण जानकारी ली इधर मृतक के परिजनों को वनपाल प्रमोद कुमार ने मृतक के परिजन को तत्काल 10000 दस हजार रुपए नगद देते हुए ढांढ़स बंधाते हुए चार लाख रुपए सरकारी प्रावधान के तहत सहायता राशि दिलाने की बात कही। वहीं मृतक के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल था लोग दहाड़ मारकर रो रहे थे घटना से अगल-बगल के ग्रामीणों में भी दहशत फैली हुई है। बताते चलें कि हाथियों के द्वारा यह दूसरी घटना है जहां बरसोती गांव के चरवाहे की भैंस खोजने के दरमियान हाथी ने पटक कर जान ले ली थी। इधर हाथियों के झुंड ने रविवार की रात्रि में भी मचपानी के पूर्व मुखिया सुखबीर सिंह के चाचा का खपरैल घर भी ध्वस्त कर दिया है साथ ही कदवा उर्फ लिखनी धौरा गांव निवासी रामानंद गुप्ता के लगे 6 kg धान के बिछड़े को भी बुरी तरह कुचल कर नष्ट कर दिया है जंगली हाथी विगत 4 से 5 दिनों में धुरकी प्रखंड के बरसोती अम्बा खोरेया माचपानी शुरू भूमफोर फेफ्सा जैसे कनहर तटीय गांव में घूम रहे हैं साथ ही अकेला पाकर ग्रामीण व मवेशियों को अपनी चपेट में ले ले रहा है एवं घटना को अंजाम दे रहे हैं इस घटना से ग्रामीण काफी भयभीत वह डरे शहमे हुए हैं क्योंकि वन विभाग द्वारा अभी तक हाथी भगाने का कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।