गढ़वा में पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच द्वारा प्रथम शंखनाद प्रतियोगिता का सफल आयोजन

गढ़वा:– कला एवं समाज सेवा को समर्पित संस्था पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच, नवादा (गढ़वा) के द्वारा बंधन मैरिज हॉल, नवादा मोड़, गढ़वा में प्रथम शंखनाद प्रतियोगिता सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
कला के सर्जक भगवान नटराज की प्रतिमा के समक्ष उपस्थित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ आयोजन का शुभारम्भ हुआ।
विषय प्रवेश कराते हुए पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच के निदेशक नीरज श्रीधर ‘स्वर्गीय’ ने कहा कि शंखनाद प्रतियोगिता करवाने का उद्देश्य है युवाओं और किशोरों को अपनी समृद्ध भारतीय संस्कृति से परिचित कराना।
ज्योतिषाचार्य पंडित संजय पांडेय ने कहा कि शंख की उत्पत्ति सृष्टि के कल्याण हेतु हुआ है। शंखनाद करने और इसकी ध्वनि सुनने से नकारात्मकता का समूल नाश होता है।
कर्मकांडी आचार्य अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि शंखनाद करने का अधिकार वैसे सभी मनुष्यों को है जो सृष्टि के कल्याण की भावना रखते हैं।
सदर अस्पताल गढ़वा के चिकित्सा पदाधिकारी सह सुश्रुत सेवा संस्थान गढ़वा के निदेशक डॉक्टर टी पीयूष ने कहा कि शंखनाद का सम्बन्ध केवल अध्यात्म से ही नहीं है बल्कि शंखनाद वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोरोना महामारी के समय में अनेक जिंदगियों को बचाने में शंखनाद की विशेष भूमिका रही है। शंखनाद भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।
श्रवण कुमार शुक्ल ने कहा कि इस प्रकार के उपयोगी और नूतन आयोजन हेतु पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच का हृदय से आभार। सभी घरों में प्रतिदिन शंखनाद निश्चित रूप से होना ही चाहिए।
मानस मंडली गढ़वा के अध्यक्ष अरुण कुमार दुबे ने कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से लोगों का अपनी संस्कृति के प्रति लगाव बढ़ता है। ऐसे आयोजन विभिन्न क्षेत्रों में समय-समय पर होते रहने चाहिए।
संस्कार भारती गढ़वा जिला इकाई के संरक्षक विजय कुमार सोनी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में सम्मिलिति होना सौभाग्य का विषय है। साथ ही ऐसे आयोजनों से बहुत कुछ नया सीखने को भी मिलता है।
शंखनाद प्रतियोगिता में शशांक शेखर तिवारी ने प्रथम, सिद्धांत कमलापुरी ने द्वितीय और सुजल कुमार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजयी प्रतिभागियों को शंख और अंग-वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
निर्णायक की भूमिका ज्योतिषाचार्य पंडित संजय पांडेय, मानस मंडली के अध्यक्ष अरुण कुमार दुबे तथा संस्कार भारती के मार्गदर्शक श्रवण कुमार शुक्ल ने निभायी।
इनके अतिरिक्त संतोष पांडेय, राकेश तिवारी, चंद्र प्रकाश मिश्रा आदि ने भी अपने विचार रखे।
आयोजन को सफल बनाने में कौस्तुभ, ललन सोनी, अमोद कुमार सिन्हा, पवन कुमार पटेल, भास्कर पांडेय, अभय कुमार पांडेय, शुभम कुमार चौबे, अभिषेक भारद्वाज, अनमोल कुमार, संतोष कुमार पांडेय, धर्मेंद्र कुमार, कुमार सुधाकर द्विवेदी, गीतांजलि, जासमीन आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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