एम.के. डी.ए.वी.में चल रहे संकुल स्तरीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आज दूसरा दिन
एम.के. डी.ए.वी.में चल रहे संकुल स्तरीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आज दूसरा दिन।
छात्रों की समझ बढ़ाने हेतु शिक्षकों का द्विभाषी होना आवश्यक- प्राचार्य, डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल खलारी ।
छात्र की पारिवारिक परिस्थितियों एवं उसकी सकुचाहट को दूर कर कैसे करें खिल – खिलाते कक्षा- कक्ष का निर्माण ? – ई.ई.डी.पी. में हुआ विचार मंथन।
6 जनवरी 2025 को सेंट्रल मैनेजिंग कमेटी दिल्ली के अकादमी उत्कृष्टता केंद्र के तत्वाधान में चल रहे तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आज दूसरा दिन है। आज प्रातः 9:00 बजे अल्पाहार के पश्चात सभी प्रशिक्षु तीन अलग-अलग वर्गों में विभक्त होकर अपने-अपने कक्षाओं में पहुंच गए। प्रथम सत्र में ” क्रिएटिव माइंड एट प्ले, इनकरेजिंग आर्ट क्रिएटिविटी एंड प्ले इन अर्ली चाइल्डहुड ” – कुमारी हर्षिता डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल गुमला द्वारा । ‘” सब्सटांस एब्यूज”- सी.बी.एस.ई. की रिसोर्स पर्सन श्रीमती रवीना श्रीवास्तव द्वारा तथा ” एजुकेटिंग पैरंट्स अबाउट एजुकेशन” – श्री कमलेश कुमार जी प्राचार्य डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल खलारी द्वारा प्रस्तुत किया गया ।
प्रथम सत्र में प्रशिक्षुओं को उद्बोधित करते हुए डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल खलारी के माननीय प्राचार्य महोदय ने बताया कि आज के परिवेश में केवल छात्रों को शिक्षित करने से हम अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाएंगे , बल्कि अब अभिभावकों को भी शिक्षा के प्रति जागरूक करना आवश्यक है । उन्होंने एक छात्र के साथ आप-बीती सुनाकर यह बताया कि छात्र अपनी समस्या शिक्षक एवं अभिभावक दोनों से प्रकट करते हैं । अतः दोनों को मिलकर ही उनकी समस्या का समाधान करना होगा। प्राचार्य जी ने एक शिक्षक, जिनकी आवाज साफ नहीं थी, उनका उदाहरण देकर बताया कि जब हमारी बात छात्रों तक नहीं पहुंचती , तब हमें किस तरह की कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में कुछ ऐसे छात्र हैं जिन्हें हिंदी समझना आसान होता है , अतः परिस्थिति के अनुसार शिक्षक द्विभाषीये की भूमिका निभाये क्योंकि यह छात्र हित में सर्वथा समीचीन है ।ई.ई.डी.पी में आज के प्रासंगिक एवं चुनौती पूर्ण विषय ” मूविंग फ्रॉम विगल्स टू गिगल्स ” पर विचार व्यक्त करते हुए डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल डालटेनगंज की शिक्षिका श्रीमती दिव्या सिंह ने बताया कि अनेक छात्र अपने घर से विषम परिस्थितियों में निकलकर विद्यालय पहुंचते हैं। कुछ स्वभाव से संकुचित होते हैं किंतु हमें कक्षा- कक्ष के वातावरण को खुशनुमा बनाने हेतु उनके होठों पर खिलखिलाहट लानी पड़ती है, जो एक दक्ष शिक्षक ही कर सकता है । उन्होंने सभी प्रशिक्षुओं को इसके बेहतर उपाय बताएं।
सी.बी.एस.ई की रिसोर्स पर्सन श्रीमती रवीना श्रीवास्तव ने नशे के गिरफ्त में आते छात्रों की चर्चा करते हुए बताया कि आज छात्र नशे के वैकल्पिक संसाधनों का उपयोग करते हैं, जिनसे हमें परिचित और सावधान होने की आवश्यकता है। अगर कोई छात्र कक्षा में व्हाइटनर ,फेविकोल, चांक इत्यादि का अधिक प्रयोग करता है तो हमें चिंता करने तथा सतर्क होने की आवश्यकता है।
डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल गुमला से आई शिक्षिका श्रीमती संगीता मित्तल ने ई.ई.डी.पी के समूह में ” लर्निंग विद प्लेवे मेथड ” की चर्चा करते हुए आगत प्रशिक्षुओं से रोचक कहानियों पर आधारित रोचक गतिविधियों को प्रशिक्षुओं द्वारा संपन्न करा कर कक्षा – कक्ष को रोचक बनाने का तरीका बताया। सभी सत्र अत्यंत रोचक, ज्ञानप्रद एवं छात्रोंपयोगी थे।
तीनो सत्रों की समाप्ति एवं भोजनावकाश के पश्चात सभी प्रशिक्षु विषयवार अपने निर्धारित कक्षा में बैठे । यहां सभी विषयों में नवाचार, नई शिक्षण तकनीक एवं नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को कक्षा – शिक्षण में लागू करने की विधियो पर विस्तृत चर्चा हुई। आवश्यक मॉडल एवं अन्य पाठ्य सामग्री तथा स्मार्ट बोर्ड की सहायता से कक्षा को रोचक बनाने के तरीकों पर विचार किया गया।
इस क्षमता निर्माण कार्यक्रम का पूरा प्रभार डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल्स झारखंड क्षेत्र आई के सहायक क्षेत्रीय अधिकारी, सह क्षेत्रीय संयोजक क्षमता निर्माण कार्यक्रम, सह प्राचार्य एम.के. डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल डालटेनगंज डॉक्टर जी.एन खान के कंधों पर है। डॉक्टर खान ने बताया कि इस तीन दिवसीय शिविर में प्रशिक्षुओं के ठहरने , भोजन, जलपान इत्यादि का पूरा ख्याल रखा जा रहा है । मौसम की प्रतिकूलता के अनुसार सभी उचित व्यवस्था रखी गई है। साथ ही प्रशिक्षण अवधि में समय नियोजन की प्रतिबद्धता भी रखी जा रही है, जिससे प्रशिक्षु अधिकाधिक लाभान्वित होकर अपने कक्षा – कक्ष को और बेहतर और प्रभावी बना सके । प्राचार्य जी ने बताया कि बदलते परिवेश में नित-नई चुनौतियों को हम पुराने ढंग से हल नहीं कर सकते। अतः हमें अपने शिक्षण में नवाचार , नई शिक्षण तकनीकी एवं अत्याधुनिक संसाधनों को बढ़ाना एवं उनके कुशल संचालन में दक्ष होना होगा । ऐसे में इस तरह के आयोजनों की प्रासंगिकता बढ़ जाती है, जो छात्र एवं विद्यालय हित में आवश्यक है । उन्होंने सभी प्रशिक्षुओं से पूर्ण मनोयोग से प्रशिक्षण प्राप्त करने एवं उसे छात्र हित में कक्षा- कक्षा तक ले जाने का आग्रह किया।
