भवनाथपु केतार छोटे उद्योग होते तो बच सकता था एक और जान, आखिर कब रुकेगा पलायन का सिलसिला
राजस्थान के जसमेर में 35 वर्षीय छोटू को काम करने के द्वारान हुआ मौत शव आते ही गांव में पसरा मातम
केतार प्रखंड में पलायन एक बार फिर एक युवक की जान ले बैठा। पचाडुमर–कमदरवा निवासी युवक की राजस्थान में काम के दौरान हुई मौत ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि हर कुछ महीनों में ऐसा मामला सामने आता है, जब गांव से जिंदा निकला युवक बाहर से लाश बनकर लौटता है।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि भवनाथपुर केतार क्षेत्र में छोटे उद्योग-धंधे या कोई औद्योगिक प्लांट स्थापित होता, तो युवाओं को रोज़गार के लिए बाहर पलायन नहीं करना पड़ता। स्थानीय स्तर पर काम मिलता तो शायद एक और घर का चिराग बुझने से बच जाता।
आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस सिलसिले पर रोक कब लगेगी कब तक यहां के युवक रोज़गार की तलाश में दूसरे राज्यों में जान जोखिम में डालते रहेंगे कब तक गांवों से जिंदा लोग बाहर जाएंगे और वापस कफ़न में लिपटकर आएंगे
ग्रामीणों ने अब सीधे जनप्रतिनिधियों से सवाल खड़े किए हैं। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय वोट मांगने वाले नेता जीत के बाद क्षेत्र की सुध क्यों नहीं लेते। आखिर कब तक हम लोगों के वोट का इस्तेमाल सिर्फ सत्ता तक पहुंचने के लिए किया जाएगा कब तक गरीब और ग्रामीण मतदाताओं के वोट का दुरुपयोग होता रहेगा
ग्रामीणों ने पूछा है कि क्या भवनाथपुर और केतार जैसे पिछड़े इलाकों के लिए कोई ठोस औद्योगिक नीति है या नहीं। यदि छोटे उद्योग, फैक्ट्री खुलते, तो सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सकता था और पलायन पर लगाम लगती।
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की पीड़ा है। अब लोग सिर्फ संवेदना नहीं, बल्कि जवाब चाहते हैं—जनप्रतिनिधियों से और सरकार से। सवाल साफ है आखिर कब ठेकेदार के द्वारा अभी तक कोई भी सहयोग नहीं किया गया ठेकेदार कमलेश चौधरी सिर्फ काम करने के लिए राजस्थान ले जाने के लिए गांव के युवाओं को समय दे कर भेजते हैं जब बहार काम करनेवाले लोगों को के साथ घटना घटता हैं तो मृतक के परिवार का हाल भी नहीं जानने का प्रयास नहीं करते हैं

