भाई दूज पर गोबर से बनने वाली आकृति का क्या है महत्व, जाने

भाई दूज पर गोबर से बनने वाली आकृति का क्या है महत्व, बहने क्यों कुटती हैं इसे? पंडित से जानें सबशशिकांत ओझा/पलामू. दिवाली के बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इस वर्ष यह त्योहार 15 नवंबर को है. यह रक्षाबंधन कीतरह ही भाई-बहन का पर्व है. इस दिनबहने अपने भाइयों की लंबी उम्र औरविजय प्राप्ति के लिएकामना करती है. इस दिन बहने अपने भाई को रोड़ी का तिलक लगाती है. इस दौरान भाई अपने बहनों को उपहार भी देते हैं.
हिंदू पंचांग की माने तो हर वर्ष कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है. इस दिन यमराज और यमुना माता की पूजा की जाती है. इस पर्व पर घर के बाहर गोबर से खास आकृति बनाई जाती है. जिसे बहने डंडे के समूह से कुंटती है और कहती है मेरे भाई का दुश्मन कोई न रहे, भाई का दुश्मन कोई न रहे. ऐसे में मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि गोबर से बनने वाली आकृति क्या होती है इसे कूटा क्यों जाता है. महिलाएं इस दिन उपवास रखकर इसे व्रत की तरह मनाती है.अपने भाई के शत्रु के नाश होने और विजय प्राप्ति की कामना करती है.
किसकी बनती है आकृति
पुजारी श्यामा बाबा ने लोकल 18 से कहा कि इसकी अनेकों मान्यता और कथा है. इस पर्व को बहने अपने भाई के लंबी उम्र और विजय प्राप्ति के लिए मानती है. इस दौरान गोधन कुंटने के बाद महिलाएं उसे लांघती है. इसके पीछे मान्यता है कि श्री कृष्ण को गोपियों के संग रास करता देख उन्हे मित्र गोधन को भी गोपियों संग रास करने का इच्छा हुई. इसके बाद गोधन श्री कृष्ण की तरह बनकर गोपियों लुभाना शुरू किए. लेकिन गोपियां उन्हे ना पसंद करने लगी और गोपियों की ईर्ष्या उनके प्रति बढ़ने लगी.अंत में गोधन को अपना प्राण दान देना पड़ा. लेकिन उनकी प्रबल इच्छा थी कि गोपियां उनके इर्द गिर्द रहें. इसीलिए इस पर्व में गोधन की आकृति बनाई जाती है. जिसे माता बहने कुंटकर लांघती है और गोपियों की तरह उनके आस पास होने का अहसास कराती है. इस दिन यमराज से अपने पाप की माफी मांगने के बाद उसकी माफी भी मिल जाती है. तिलक लगाने से भाई बहन में प्यार भी बढ़ता है.
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