झारखंड आंदोलनकारी अपने हड्डियों व हथियारों में जंग नहीं लगने दे :- पुष्कर महतो
पलामू जिले के नीलाम्बर पीताम्बर पुर प्रखंड मुख्यालय में शहीद नीलाम्बर पीताम्बर समाधी स्थल पे झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा पलामू जिला के तत्वावधान में झारखंड आंदोलनकारी का सम्मान समारोह एवं उलगुलाम सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता झारखंड आंदोलनकारी के चंद्रधन मेहता ने किया वा संचालन कमेश सिंह चेरो ने किया
इस अवसर पर सैकड़ों आंदोलनकारियों को झारखंड आंदोलनकारी सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।
सभी आंदोलनकारी सम्मान पत्र पाकर काफी खुश हुए, यह सम्मान आंदोलनकारियों को पहली बार मिला है।
सम्मानित किए जाने वाले आंदोलनकारी का योगदान झारखंड अलग राज्य के आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में उड़ीसा के चपुवा जेल में गिरफ्तारी देकर अपनी भागीदारी निभाए थे।
इस मौके पर झारखंड आंदोलन संघर्ष मोर्चा के संस्थापक व प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों के हड्डियों व हथियारों में जंग नहीं लगने दे।
अभी मान सम्मान व पहचान की लडाई लड़नी हैं, पुत्र पुत्रियों व अश्रितों को नियोजन, ,50-50 हजार रु. सम्मान राशि देने,अलग राज्य के मूल्यों ,सांस्कृतिक विरासतों व धरोहरों को बचाने के लिए संघर्ष करना है।
अपने अस्तित्व व अस्मिता की रक्षा की लडाई लड़नी है।
वही संयोजक इज़हार राही ने कहा कि झारखंड की पहचान व अस्तित्व को मिटने नहीं देंगे।
कल भी लड़े थे आज भी एक और लडाई लड़ेंगे।
राज्य सरकार झारखंड आंदोलनकारी के प्रति उदार है निश्चित ही 15 नवंबर को मुख्यमंत्री को सकारात्मक बात करनी चाहिए।
झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संयोजक सूर्य देव भगत ने कहा कि झारखंड को झारखंड आंदोलनकारी ही चला सकता है दूसरा और कोई नहीं इसलिए सभी झारखंड आंदोलनकारी बंधु गोलबंद होकर अपने मान सम्मान की संघर्ष करना है।
साथ ही मौके पर भाकपा माले के कद्दावर नेता वा पांकी विधान सभा के पूर्व प्रत्याशी डॉक्टर वी एन सिंह ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के मूल्यों को मिटाने नहीं देंगे।
झारखंड आंदोलनकारी के संघर्ष मोर्चा के संघर्ष से सरकार पर दबाव बना कर ही आंदोलनकारियों को पेंशन आदि का सम्मान दिया है, लोग जेल में रहे, लोग आंदोलन के साथ कुर्बानियां दी है।
जल जंगल और जमीन की लड़ाई जो अलग राज्य बनाने के लिए के पहले से शुरू था आज भी वो लड़ाइयां आगे भी जारी रखना होगा।
झारखंड में फासीवाद ताकते नेतृत्व में लैंड बैंक बनाकर और आम किसानों के जमीन छीनना चाहता है इसके खिलाफ आज खड़े होना पहली जरूरत है।
जल जंगल जमीन के संघर्ष को नई ऊंचाइयों तक ले जाना होगा।
मौके पर कॉ सुषमा मेहता, कविता मेहता, शंखनाद सिंह, राजेंद्र राम,अली हसन, जमीरुद्दीन अंसारी मकबूल खाँ, शत्रुधन प्रसाद आजाद, राजमणि मेहता, शांति देवी, बृजनंदन मेहता, शिवनाथ मेहता, अरुण दुबे, शिवशंकर पासवान, मुस्ताक खान, भरदुल भुइयाँ, रामराज सिंह सहित अन्य उपस्थित थे.
