. बरवाडीह चर्च में भक्तिमय माहौल के बीच क्रिसमस का आयोजन
सर्दियों की ठंडी हवा के बीच बरवाडीह चर्च में एक अलग ही गर्माहट महसूस होती है।
जैसे ही चर्च के ऊँचे दरवाज़े खुलते हैं, भीतर से निकलती रोशनी न केवल अंधेरे को चीरती है, बल्कि हर आने वाले के दिल को भी सुकून से भर देती है।
चर्च के अंदर का दृश्य अत्यंत मनोहारी है।
पादरी का मंच और वेदी लाल रिबन, सदाबहार मालाओं और टिमटिमाती मोमबत्तियों से सजी हुई है, जो यीशु मसीह के जन्म की खुशी और आशा का संदेश देती हैं।
हर कोना श्रद्धा और उल्लास से जगमगा रहा है।
घंटी की मधुर आवाज़ गूंजते ही श्रद्धालु शांति से अपनी-अपनी सीटों पर बैठ जाते हैं।
बच्चों की चमकती आंखें, बुजुर्गों के चेहरे पर संतोष और युवाओं में उत्साह—हर चेहरा इस पावन अवसर की खुशी बयां करता है।
सभा की शुरुआत क्रिसमस की शुभकामनाओं के साथ होती है।
पादरी अपने संदेश में प्रेम, आशा और मानवता के प्रति सेवा के महत्व पर जोर देते हैं।
वे बताते हैं कि यीशु मसीह का जन्म हमें सिखाता है कि अंधकार में भी प्रकाश का मार्ग होता है और प्रेम से ही दुनिया को बदला जा सकता है।
भजन और प्रार्थनाओं के बीच पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।
सामूहिक स्वर में गाए गए गीत, मोमबत्तियों की रोशनी और शांत वातावरण—सब मिलकर आत्मा को छू लेने वाला अनुभव बन जाता है।
यह समारोह क्रिसमस के वास्तविक सार—शांति, सद्भावना और प्रेम—का जीवंत प्रतीक बन जाता है।
यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आपसी भाईचारे और करुणा को फिर से याद करने का अवसर है।
अंत में पादरी द्वारा दी गई विशेष प्रार्थना और आशीर्वाद के साथ समारोह का समापन होता है।
लोग चर्च से बाहर निकलते हैं, लेकिन अपने साथ विश्वास, शांति और उम्मीद की एक नई रोशनी लेकर।
बरवाडीह चर्च में मनाया गया यह क्रिसमस, हर दिल में प्रेम और सद्भाव का संदेश छोड़ जाता है।

