कालजई गीतों के रचनाकार संतोष आनंद को पलामू की धरती पर आना एक सुखद अनुभूति – अविनाश देव
मेदिनीनगर – स्थानीय नगर भवन में नई चेतना मंच द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। देश भर से नामचीन कवि कवयित्री पहुंचे जिनका नीलांबर पीताम्बर की धरती पर भव्य अभिनंदन हुआ। बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए और संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की आगाज कि गई और कविगण कविता पाठ किए। अंगवस्त्र मोमेंटो देकर स्वागत किए। पलामू में कवि सम्मेलन की परंपरा पुरानी रही है। यहां के दर्शक श्रोता बड़ी चाव से कविता का रसास्वादन किए। आज के कवि सम्मेलन का मुख्य आकर्षण रुपहले पर्दे पर धूम मचाने वाले गीतकार और दो बार फिल्मफेयर अवॉर्ड लेने वाले संतोष आनंद “जिंदगी की ना टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी” ए शान है तिरंगा मेरी जान है तिरंगा से ख्याति प्राप्त सेंचुरी से कुछ ही पहले 97 बसंत के बाद भी आवाज में ऊसमां है। आवाज में खनक शब्द की कशिश और उनके जिंदा जमीर गीत व साहित्य प्रेमियों को बरबस खींचता है। व्हीलचेयर पर रहने के बावयुद लोगों की दीवानगी उनको वहां जाने पर लाचार हालत में भी लाचार करता है। कवियों के जमात में गजेंद्र प्रियांशु,विक्रम अपूर्व,अद्वैत रवि,बजरंग नाथ,अभिनव मिश्रा और मुमताज नसीम जी को बड़े शानदार तरीके से पलामू सुना। पलामू आने के लिए सबों को आभार,जोहार!

