राज्य में पुर्व के सर्वप्रमुख अध्यापक ठीक नहीं थे इसलिए आज भी राज्य पिछड़ा हुआ है,राज्य, सीएम हेमंत

राज्य में पुर्व के सर्वप्रमुख अध्यापक ठीक नहीं थे इसलिए आज भी राज्य पिछड़ा हुआ है,राज्य, सीएम हेमंत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को लेकर आज कोडरमा में थे।
यहां सीएम ने अपने संबोधन में कहा हमारे राज्य में गरीबी इतना है, पिछड़ापन इतना है कि पूरे देश में अगर सबसे पिछड़ा कोई राज्य है तो वह झारखंड है।
झारखंड राज्य को सबसे अगड़ी सरकारों ने चलाया है, जो सरकार खुद को देश-दुनिया की सबसे बड़ी सरकार कहती है।
उन लोगों ने इस राज्य को 20 साल तक चलाया है।
इतने दिनों में उन्होंने इस राज्य को पिछड़ा बनाने काम किया।
राज्य के सर्वप्रमुख अध्यापक ठीक नहीं थे। इसी कारण से यह राज्य पिछड़ा गया।
षड्यंत्र के तहत इस राज्य को पीछे धकेल दिया गया।
लोगों ने यही चाहा कि इस राज्य के लोग पढ़ाई लिखाई ना कर पाए।
राज्य के लोग बौद्धिक रूप से शैक्षणिक रूप से आगे ना बढ़ पाए ताकी लोग मजबूत नहीं होंगे पाए।
जब तक आप शिक्षित नहीं होंगे तब तक आप कमजोर रहेंगे।
जब तक आप शिक्षित नहीं होंगे तब तक आप रोजगार की लड़ाई भी नहीं लड़ सकते। और नहीं किसी तरह का कोई मांग भी नहीं उठा सकते।
इसीलिए हम लोगों ने आने वाले पीढ़ी दर पीढ़ी को मजबूत करने का संकल्प लिया है।
वर्तमान सरकार अंधी, गूगी,बहरी नहीं है
आज आपकी सरकार आपके द्वारा का तीसरे चरण का ये कार्यक्रम है पहले चरण 2021 में शुरू हुआ दूसरा चरण 2022 में शुरू हुआ और फिर से 2023 में आपकी सरकार आपके द्वार पर पहुंची है। आप सब लोग जानते हैं कि इस कार्यक्रम के दौरान आपके शिविरों में क्या क्या कार्यक्रम आयोजित होते हैं। उधर कुछ महिलाएं बैठी है या कुछ और लोग बैठे हैं, उनकी आवाजों हमारे पास आ रही है। उनसे दरखास्त ले लिया जाए और हमारे पास लाया जाए। यह सरकार अंधी,गूगी,बहरी नहीं है। इस सरकार के आंख भी है,कान भी है, नाक भी है और संवेदनशीलता भी है। आप लोग अपनी शिकायत इस शिविर के माध्यम से भी हमतक पहुंचा सकते है।
आज चूंकि अभी हम आपलोग के बीच है तो यहां भी आप इसे हमतक पहुंचा सकते हैं।
यह शिविर केवल आज यहां पर नहीं है। यह शिविर और भी प्रखंडों में पंचायतों में ऐसे ही हुजूम और भीड़ लगा हुआ है।
हम तो बस बीच-बीच में चेंकिग के लिए पहुंच जाते हैं कि बाकई में कर्मचारी और प्रदाधिकारी जिस काम के लिए तनख्याह लेते हैं वो काम करते है या नहीं क्योंकि राज्य अलग होने के बाद जो पूर्व की सरकारे रही है। सरकार की जो जिम्मेवारी होती कि जनता की सेवा करना, इसपर न लगते हुए उनलोगों ने सारी सेवा अपनी ऊपर लगवा ली। लेकिन आज इस उद्धारण को हम बदलना चाहते है। इस बात को हमने सरकार बनने से पहले भी कहा था। आज इन शिविरों के माध्यम से किस तरीके से समस्याएं है, इसकी वास्तविकता हमें पता चलती है। कर्मचारियों और पदाधिकारियों से सही जानकारी हमें नहीं मिलती है इसलिए इन शिविरों के माध्यम से आपलोगों की आवाज, आपलोगों की तकलीफों को जानने समझने का मौका मिलता है।
पहला शिविर जब हम लगाए तो 35 लाख आवेदन हमें मिले। दूसरा शिविर लगाए तो 55 लाख आवेदन हमे मिला। यह तीसरा चरण है इसके आंकड़े 29 दिसंबर को पता चलेंगे। और इन शिविरों के माध्यम से जो शिकायत हमें देखने को मिला तो हमने सर पकड़ लिया। हम सोचने पर मजबूर हो गए कि आखिर पूर्ववर्ती सरकारों ने कौन-सा ऐसा काम किया।
लगभग 1 करोड़ की समस्या का आवेदन मिला। इससे आश्वसत था कि उस सरकार में न ब्लॉक कार्यलय काम करता था, न जिला कार्यलय और न कोई कर्मचारी काम करता था।
बोरा भर-भर के जनप्रतिनिधियों को अपनी समस्या ग्रामीण देते थे लेकिन उसका हल कभी नहीं निकलता था। हमने सूची बनाई कि किसे पहली प्राथमिकता दी जाए। किसको दूसरी, और किसे तीसरी और चौथी।
आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि और सीना ठोक कर कह सकते हैं कि इस शिविर के माध्यम में जो हमने मूलभूत समस्याओं का निदान करना हमने शुरू किया तो उसका नतीजा है कि आज हमारे राज्य में किसी भी गांव में कोई बूढ़ा,बुजुर्ग महिला विकलांग लोग कोई बिना पेंशन के नहीं है। सभी को पेंशन मिलता है। हर आदमी का एक मूलभूत समस्या है।
मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत अब लोगों को भैंस भी देंगे
मुख्यमंत्री पशुधन योजना के माध्यम से पशुपालन की योजना पहले गाय बकरी, मुर्गी,सूअर सरकार से मिलता था। आप हम लोगों ने तय किया है कि अब इस राज्य में भैंसों का भी वितरण हम लोग करेंगे। पहली की सरकार ने कई बार ऐसा फ्रॉड का काम किया है कि ग्रामीणों को जानवर देने के बाद एक दो महीने में वह मर जाते थे। बीमार हो जाता था। बेचारा किसान का जानवर मर जाता था और वह लोग भी अपना माथा पकड़ लेते थे। फिर दोबारा पशुपालन का काम नहीं कर पा रहा था। उसके कमर की हड्डी टूटने लगती थी लेकिन अब जो जानवर आपको मिलेगा वह सभी बीमा किया हुआ होगा।अगर कोई जानवर मरेगा उसका पूरा पैसा आपको मिलेगा।
फूले झानो योजना की राशि हमने 50 हजार किया
महिलाओं के लिए हमने फूले झानो योजना लाई। पहले 10 हजार की आर्थिक सहयोग राशि दी जाती थी। जिससे महिला स्वरोजगार उत्पन्न कर सकें। लेकिन अब इस योजना की राशि को बढ़ा कर 50 हजार कर दिया गया है। महिला को जो काम करना है वह इसका लाभ ले और अपना स्वोरोजगार करें।