40 लाख का खरीदा गया धान का बीज गुणवत्तापूर्ण नहीं, 1 हजार किसानों ने वापस मांगे पैसे…………
पलामू जिले में किसानों के लिए खरीदे गये धान के बीज किसान वापस कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि धान के बीज अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं. जिला कृषि पदाधिकारी को जिले के 1 हजार किसानों ने आवेदन देकर पैसे वापस मांगे हैं. जानकारी के अनुसार पलामू जिले के लिए एचएससीए कंपनी से 353 क्विंटल धान के बीज खरीदे गये थे, जिसके लिए कंपनी को 39 लाख 18 हजार 300 रुपये का भुगतान किया गया था. किसानों ने 111 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पैसे कंपनी को भेजे!
3 दिनों के भीतर किसानों को वापस मिलेंगे पैसे
इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि कई लोगों ने धान के बीज को लेकर लिखित शिकायत दी है कि बीज गुणवत्तापूर्ण नहीं है. धान का प्रभेद डीडीआरएचटू वापस किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सभी लोगों को उनके पैसे वापस किये जायेंगे. एचएससीए कंपनी के झारखंड के क्षेत्रीय प्रबंधक अवधेश मंडल ने बताया कि जिन किसानों ने बीज के संबंध में शिकायत की है. उन्हें 3 दिनों के भीतर पैसे वापस मिल जायेंगे. किसानों को पैसे वापस मिलने के बाद धान के बीज वापस लिये जायेंगे!
क्या है धान के बीज खरीदने की प्रक्रिया?
धान के बीज खरीदने के लिए जिस कंपनी से बीज खरीदा जाता है. उसके लिए जिला कृषि पदाधिकारी के कार्यालय से खरीदने वाले लोगों को इसका पत्र निर्गत किया जाता है. इसके बाद बीज खरीदने वाले व्यक्ति या फर्म के द्वारा उस कंपनी के अकाउंट में एनईएफटी के माध्यम से राशि भेजी जाती है. पैसे मिलने के बाद कंपनी ट्रांसपोर्ट के माध्यम से संबंधित व्यक्ति या उसके डीलर को बीज भेजती है. मालूम हो धान के बीज में 50 प्रतिशत राशि किसानों को देना होता है, जबकि 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार के द्वारा वहन किया जाता है!
पिछले वर्ष मकई के बीजों में मिली थी शिकायत
पहाड़ी मेगा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, पांकी ने भी एचएससीए कंपनी से 50 क्विंटल धान का बीज खरीदा था. कंपनी के निदेशक हरि प्रसाद साहू ने बताया कि डीडीआरएचटू धान का बीज गुणवत्तापूर्ण नहीं है. किसान इसे लेने से इनकार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल हिल इंडिया कंपनी के द्वारा मकई का बीज दिया गया था. उसमें भी शिकायतें मिली थी कि कई बीज में पौधे ही नहीं आये. और जिस बीज से पौधा निकला था. उसमें मकई ही नहीं लगा था. पिछले बार किसानों का पैसा डूब गया था, जिससे किसान काफी निराश थे!
